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  4. Supreme Court bluntly on OROP, government should withdraw the notification of January 20
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Last Modified: सोमवार, 13 मार्च 2023 (20:13 IST)

OROP पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, 20 जनवरी का नोटिफिकेशन वापस ले सरकार

supreme court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि रक्षा मंत्रालय ‘वन रैंक वन पेंशन’ (OROP) के बकाए का भुगतान 4 किस्तों में करने संबंधी परिपत्र जारी कर कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता।
 
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मंत्रालय से अपने 20 जनवरी के परिपत्र को तुरंत वापस लेने के लिए कहा, जिसमें कहा गया है कि ओआरओपी की बकाया राशि का भुगतान 4 किस्तों में किया जाएगा।
 
अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र ने ओआरओपी बकाया की एक किस्त का भुगतान पूर्व सैनिकों को कर दिया है, लेकिन अगले भुगतान के लिए उसे कुछ और समय की जरूरत है। पीठ ने वेंकटरमणी से कहा कि पहले ओआरओपी बकाया के भुगतान पर 20 जनवरी की अपनी अधिसूचना वापस लें, फिर हम समय दिए जाने के संबंध में आपके आवेदन पर विचार करेंगे।
 
इसके साथ ही पीठ ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का 20 जनवरी का परिपत्र पूरी तरह से उसके फैसले के विपरीत था और वह अपनी ओर से एकतरफा यह नहीं कह सकता कि वह 4 किस्तों में ओआरओपी का बकाया भुगतान करेगा।
 
पीठ ने अटार्नी जनरल को भुगतान की जाने वाली राशि, अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों और बकाया भुगतान के लिए प्राथमिकता आदि का विवरण देते हुए एक नोट तैयार करने को कहा।
 
पीठ ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसी प्रकार का वर्गीकरण होना चाहिए और पहले वृद्ध लोगों को बकाए का भुगतान किया जाना चाहिए। मामला शुरू होने के बाद से अब तक 4 लाख से अधिक पेंशनभोगियों की मृत्यु हो चुकी है।
 
पीठ वकील बालाजी श्रीनिवासन के जरिए दायर इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (आईईएसएम) की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में रक्षा मंत्रालय के 20 जनवरी के संचार को रद्द करने की मांग की गई है। इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी को सशस्त्र बलों के पात्र पेंशनभोगियों को ओआरओपी बकाया के भुगतान में देरी पर रक्षा मंत्रालय की खिंचाई की थी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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