चांद-सितारे वाला हरा झंडा इस्लामिक नहीं, तनाव बढ़ाता है, प्रतिबंध पर सुप्रीमकोर्ट ने मांगी केंद्र से राय...
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने चांद-सितारे वाले हरे झंडे लहराने या फहराने पर रोक संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने को कहा है।
न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने उत्तरप्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की याचिका की सोमवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि वे इस बाबत सरकार का पक्ष जानकर उसे अगली सुनवाई को अवगत कराएं। न्यायालय ने इसके लिए 2 सप्ताह बाद की तारीख मुकर्रर की है।
याचिकाकर्ता ने 17 अप्रैल को याचिका दाखिल की थी जिसमें उन्होंने कहा है कि चांद-सितारों वाला हरे रंग का झंडा विभिन्न धार्मिक स्थलों पर दिखाई देता है, लेकिन उसका इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। इस झंडे की वजह से अक्सर सांप्रदायिक तनाव फैलता है, दो समुदायों के बीच दूरी बढ़ती है इसलिए इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि चांद-सितारे वाला हरा झंडा पाकिस्तान और वहां की एक राजनीतिक पार्टी के झंडे से मिलता-जुलता है। इस पार्टी की स्थापना नवाज वकार उल मलिक और मोहम्मद अली जिन्ना ने 1906 में ढाका में की थी। इस झंडे का भारत और इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है इसलिए इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। (वार्ता)