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Last Updated : मंगलवार, 11 अप्रैल 2023 (23:06 IST)

जबरन चुप कराने से भारत की समस्याओं का समाधान नहीं निकलेगा, सोनिया ने मोदी सरकार पर साधा निशाना

जबरन चुप कराने से भारत की समस्याओं का समाधान नहीं निकलेगा, सोनिया ने मोदी सरकार पर साधा निशाना - Sonia Gandhi wrote an article targeting the Modi government
नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने मंगलवार को विपक्षी एकजुटता की पैरवी करने के साथ ही केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप भी लगाया कि सरकार भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है। इस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू और धर्मेंद्र प्रधान ने उन पर पलटवार किया है।
 
उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यह उच्चस्तरीय अनैतिकता वाला 'भ्रामक' बयान है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति नफरत का 'सटीक उदाहरण' है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने अंग्रेजी दैनिक 'द हिन्दू' में लिखे एक लेख में कहा कि लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति सरकार की नफरत परेशान करने वाली है। भारत के लोगों को पता चल गया है कि जब बात आज के हालात को समझने की आती है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कदम उनके शब्दों से कहीं ज्यादा तेज स्वर में स्थिति को बयां करते हैं।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक जवाबदेही के प्रति भीतर तक घर कर गई अपनी नफरत का प्रदर्शन करते हुए उठाए गए कदमों के जरिए भारतीय लोकतंत्र के तीनों स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को ध्वस्त कर रही है।
 
सोनिया ने विपक्षी एकजुटता की पैरवी करते हुए कहा कि भारत के संविधान और इसके आदर्शों की रक्षा करने के लिए कांग्रेस समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों के साथ हाथ मिलाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई लोगों की आवाज की रक्षा करने की है। कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के तौर पर अपने कर्तव्य को समझती है और समान विचारधारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।
 
कांग्रेस की शीर्ष नेता के मुताबिक संसद के बीते सत्र के दौरान हमने देखा कि सरकार की रणनीति ने संसद को बाधित किया, विपक्ष को बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक विभाजन जैसे जनता से जुड़े मुद्दे उठाने से रोका, बजट, अडाणी घोटाला और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने से रोका।
 
उन्होंने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी सरकार ने संसद की कार्यवाही से भाषणों के अंश हटाने, संसद सदस्यों पर हमला करने और बहुत तेज गति से उन्हें सदस्यता से अयोग्य ठहराने जैसे कई अप्रत्याशित कदम उठाए। उनका इशारा राहुल गांधी को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने की ओर था।
 
सोनिया ने कहा कि 45 लाख करोड़ रुपए के बजट को बिना चर्चा के पारित कर दिया गया तथा वित्त विधेयक को लोकसभा के जरिए पारित कराया गया और तब प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र में परियोजनाओं के उद्घाटन में व्यस्त थे। उन्होंने दावा किया कि यह सर्वविदित है कि मोदी सरकार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग करती है तथा 95 फीसदी राजनीतिक मामले विपक्षी पार्टियों के खिलाफ दर्ज हैं।
 
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने दावा किया कि प्रधानमंत्री सत्य और न्याय के बारे में दिखावटी बयान देते हैं जबकि उनके करीबी उद्योगपतियों के खिलाफ वित्तीय जालसाजी के मामले को नजरअंदाज कर दिया जाता है। मेहुल चोकसी जैसे भगोड़ों के खिलाफ इंटरपोल का नोटिस वापस ले लिया जाता है। बिल्कीस बानो के बलात्कारियों को रिहा कर दिया जाता है, जो भाजपा के नेताओं के साथ मंच साझा करते हैं।
 
सोनिया गांधी ने कहा कि चुप कराए जाने से भारत की समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। उनके मुताबिक प्रधानमंत्री अपनी सरकार के ऐसे कदमों पर चुप्पी साध लेते हैं, जो करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वित्तमंत्री अपने बजट भाषण में 'बेरोजगारी' और 'महंगाई' शब्द का इस्तेमाल तक नहीं करतीं, जैसे कि ये समस्याएं हैं ही नहीं।
 
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा और आरएसएस के नेताओं द्वारा भड़काई जाने वाली नफरत और हिंसा को प्रधानमंत्री नजरअंदाज करते हैं। उन्होंने एक बार भी शांति और सद्भाव अथवा अपराध करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान नहीं किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हरसंभव प्रयास करेगी कि वह अपने संदेश को जनता के बीच सीधे ले जाए, जैसा 'भारत जोड़ो यात्रा' में किया गया था।
 
केंद्रीय मंत्री रीजीजू ने ट्विटर पर सोनिया गांधी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि श्रीमती सोनिया गांधी लोकतंत्र के बारे में व्याख्यान दे रही हैं? कांग्रेस पार्टी की ओर से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में बात करना उच्चस्तरीय अनैतिकता वाला भ्रामक बयान है।
 
शिक्षा मंत्री प्रधान ने उनकी टिप्पणी को 'मोदी के प्रति नफरत, गलत प्राथमिकताएं और राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिकता को जरूरत से ज्यादा महत्व दिए जाने का सटीक उदाहरण' करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस है, जो दोराहे पर खड़ी है, राष्ट्र नहीं। आने वाले दिन महत्वपूर्ण हैं, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी राजनीतिक संकट के कगार पर है।
 
प्रधान ने कहा कि यह लोकतंत्र की परीक्षा नहीं है बल्कि विशुद्ध रूप से कांग्रेस की परीक्षा है। कांग्रेस नेतृत्व को अपने भ्रम से बाहर आना चाहिए और जमीनी हकीकत के प्रति जागना चाहिए। भारत का लोकतंत्र फल-फूल रहा है, लोग पीएम मोदी के इरादों को जानते हैं और यही कारण है कि वे उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
 
कांग्रेस के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने सोनिया गांधी के लेख पर कहा कि लेख में वर्णित किया गया है कि आज की स्थिति ठीक उतनी ही भयावह है...। ऐसे में जो राजनीतिक चुनौती विपक्ष के सामने है, उसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी अपनी जिम्मेदारी समझती है और उस जिम्‍मेदारी का निर्वहन करने के लिए कांग्रेस पार्टी सदैव तत्‍पर रहेगी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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