शिवसेना ने आरएसएस, ‘भक्तों’ से राष्ट्रवाद पर रुख स्पष्ट करने को कहा
मुंबई। राष्ट्रगान पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर अपने सहयोगी दल भाजपा पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने आज ‘भक्तों’ और आरएसएस से राष्ट्रवाद पर अपना रुख स्पष्ट करने का अनुरोध किया। उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाना वैकल्पिक है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रकाशित एक संपादकीय में व्यंग्यपूर्ण रूप से उच्चतम न्यायालय के आदेश को ‘ऐतिहासिक या क्रांतिकारी’ बताया गया और कहा गया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कहा था कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाना ‘महत्वपूर्ण नहीं’ है जिसके बाद यह आदेश आया है।
संपादकीय में कहा गया है कि केंद्र ने कहा कि थिएटरों में राष्ट्रगान बजाना महत्वपूर्ण नहीं है जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने अपने ही फैसले पर यू-टर्न ले लिया। आरएसएस और अन्य राष्ट्रवादी संगठनों का इस पर क्या रुख है। अखबार में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला उन लोगों के लिए झटका है जिन्होंने मोदी सरकार में यह रुख अपनाया था कि वंदे मातरम् गाने वाले लोग राष्ट्रवादी हैं और जो नहीं गाते हैं वे देशद्रोही हैं।
राष्ट्रगान पर सरकार के रूख को कायरतापूर्ण बताते हुए इसमें कहा गया है कि राष्ट्रवाद की परिभाषा हर दिन बदल रही है। शिवसेना ने कहा कि अभी तक यह कहा जाता है कि जो लोग गायों की रक्षा करते हैं वे राष्ट्रवादी है और जो बीफ खाते हैं वे देशद्रोही हैं लेकिन भाजपा शासित गोवा के मुख्यमंत्री ने कल कहा कि राज्य में बीफ पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
उसने कहा कि उत्तर प्रदेश में मदरसों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें लगाना अनिवार्य बना दिया गया है लेकिन अभी तक राष्ट्रगान के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। संपादकीय में कहा गया है कि यह ऐसा है कि जो लोग वंदे मातरम् कहते हुए फांसी के फंदे पर झूल गए वे बेवकूफ थे। भाजपा भक्तों को इस पर क्या कहना है। (भाषा)