क्यों सीरम इंस्टीट्यूट को दुनिया की सबसे बड़ी 'वैक्सीन फैक्ट्री' कहा जाता है
भारत में कोरोनावायरस से बचाव के लिए दो वैक्सीनों को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिली है,पहली कोविशील्ड और दूसरी कोवैक्सीन।
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के कोविशील्ड टीके का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट को दुनिया की सबसे बड़ी 'वैक्सीन फैक्ट्री' भी कहा जाता है। पुणे स्थित सीरम की फैक्ट्री का निर्माण 1966 में हुआ था।
कोरोना महामारी से पहले भी सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया में अपना डंका बजा चुका है। एक साल में पोलियो समेत अन्य बीमारियों से बचाव के लिए 1.5 बिलियन वैक्सीन का निर्माण कर सीरम ने दुनियाभर में अपना नाम किया था। पूनावाला परिवार इस फर्म के मालिक हैं। परिवार को कंपनी बनाने का आइडिया एक फार्म में आया था, जहां घोड़े पाले जाते थे। पशु चिकित्सक के साथ बातचीत से पहले यह एहसास हुआ कि पशुओं से निकाले जाने वाले एंटी-टॉक्सिन सीरम का इस्तेमाल टीका बनाने के लिए किया जा सकता है।
इसके बाद से ही सीरम इंस्टीट्यूट ने बाजार में अपना दबदबा बना लिया। कंपनी के CEO अदार पूनावाला (40) ने हाल के वर्षों में पुणे कैंपस को और बड़ा और अत्याधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं।
2019-20 में कंपनी का राजस्व बगैर कर्जदारी के 800 मिलियन डॉलर से ज्यादा था। पुणे कैंपस में कई बिल्डिंग्स हैं, जहां वैक्सीन को लेकर शोध और निर्माण कार्य जारी रहते हैं। अदार पूनावाला ने कहा था कि उन्होंने भारतीय बाजार के लिए कोविशील्ड का 50 फीसदी स्टाक रिजर्व किया है। अन्य देशों को भी वैक्सीन सप्लाई की जाएगी। सीरम इंस्टीट्यूट कोवैक्स को 200 मिलियन डोज देने की भी तैयारी कर रहा है।
सीरम इंस्टीट्यूट के मंजरी परिसर में पांच मंजिला निर्माणाधीन भवन में बीते दिनों आग लगने की घटना में 5 मजदूरों की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री ठाकरे शुक्रवार को स्वयं पुणे स्थित इंस्टीट्यूट पहुंचे और वहां हुए नुकसान का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि कि परिसर में लगी आग दुर्घटना है या किसी ने जानबूझकर ऐसा किया है, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट आने पर ही होगा। आग से नुकसान के बारे में बताते हुए अदार पूनावाला ने कहा, '1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है क्योंकि वहां ऐसे उपकरण और उत्पाद रखे हुए थे, जिन्हें बाजार में लॉन्च किया जाना था।