नई दिल्ली, कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच एक राहत की बात यह रही कि महज एक साल के भीतर इस वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली गई।
कोरोना वायरस संक्रमण से उभरी कोविड-19 एक वैश्विक महामारी है। इसीलिए, वैक्सीन तैयार करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग एक महत्वपूर्ण कड़ी बना। करीब एक साल में वैक्सीन बनने की यह कहानी दिलचस्प है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत नेशनल काउंसिल ऑफ साइंस म्यूजियम्स (एनसीएसएम)इस कहानी को प्रदर्शनी के रूप में जनता के साथ साझा करने की तैयारी कर रहा है।
'हंट फॉर द वैक्सीन' नामक यह एक अंतरराष्ट्रीय भ्रमणशील प्रदर्शनी है, जो साइंस म्यूजियम ग्रुप, लंदन के साथ मिलकर भारत में आयोजित की जा रही है।
चार महानगरों- दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता समेत यह प्रदर्शनी देश के पांच स्थानों की यात्रा करेगी। यह प्रदर्शनी नवंबर, 2022 में दिल्ली से शुरू होगी और उसके बाद मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में इसका आयोजन किया जाएगा।
इस प्रदर्शनी के माध्यम से वैक्सीन निर्माण से जुड़े वैज्ञानिक प्रयासों एवं इसके चुनौतीपूर्ण सफर से परिचय कराया जाएगा। इस प्रदर्शनी के नवंबर 2022 से सितंबर 2025 के बीच करीब 20 लाख लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है।
प्रदर्शनी में यह बताया जाएगा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन को तेजी से बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने किस तरह परस्पर सहयोग करते हुए नये वैज्ञानिक तथ्यों को उजागर किया। इसके साथ ही, इसमें ऐतिहासिक और समकालीन परिप्रेक्ष्य में टीकाकरण को व्यापक संदर्भों में प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रदर्शनी में उन वैज्ञानिक सिद्धांतों को दर्शाया जाएगा, जो किसी वैक्सीन के निर्माण और और उसकी प्रभावोत्पादकता से जुड़े होते हैं। इसके अतिरिक्त इसकी समूची प्रक्रिया मसलन द्रुत गति से विकास, उत्पादन, परिवहन एवं डिलीवरी जैसे पहलुओं पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
साइंस म्यूजियम ग्रुप के प्रभारी निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जॉनथन न्यूबाय ने कहा है कि “इस महामारी ने लोगों को स्मरण कराया है कि विज्ञान की उनके जीवन में कितनी केंद्रीय भूमिका है।
इसने वैश्विक समुदाय के साथ सक्रिय संवाद के लिए असाधारण अवसर भी प्रदान किया है। हम एनसीएसएम के साथ मौजूदा साझेदारी को लेकर उत्साहित हैं। इस कहानी में अनगिनत नायक हैं, जिसमें प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों से लेकर वैक्सीन डिलीवरी सुनिश्चित करने वाले इंजीनियर एवं तकनीशियन और चिकित्सीय परीक्षणों का हिस्सा बनने वाले स्वैच्छिक कार्यकर्ता शामिल हैं। एनसीएसएम के साथ मिलकर हम उनकी कहानियां वैश्विक स्तर पर सुनाएंगे।”
एनसीएसएम के महानिदेशक अरिजीत दत्ता ने बताया कि “इससे पहले हम सुपरबग्स: द ऐंड ऑफ एंटीबायोटिक्स नामक प्रदर्शनी सफलतापूर्वक आयोजित कर चुके हैं, जिसे काफी सराहा गया। यह दूसरी परियोजना है, जिसमें हमने साइंस म्यूजियम ग्रुप, लंदन के साथ साझेदारी की है। इसका मकसद जनता के बीच जीवन में वैक्सीन की महत्ता को समझाना है। कोविड-19 के चलते भारत में यह बहुत अधिक प्रासंगिक है। इस बार हमने मोबाइल साइंस एग्जिबिशन (एमएसई) बस जैसी पहल भी शुरू की है।
एमएसई बस मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में संदेश पहुंचाएगी। इसके साथ ही,यह ब्रिटेन और भारत में विज्ञान प्रदर्शनी के क्षेत्र में अग्रणी संस्थाओं के बीच सहयोग को उच्च स्तर पर ले जाएगी।”
एनसीएसएम मुख्यालय के निदेशक एवं भारत में इस परियोजना के समन्वयक एस. कुमार ने बताया कि “प्रदर्शनी में स्थानीय महत्व की सामग्री शामिल होगी, जिसमें कोविड-19 के दौरान भारत के प्रयासों को दर्शाया जाएगा। व्यापक जन-सक्रियता और वैक्सीन को लेकर समझ बढ़ाने के लिए इसमें विभिन्न कार्यक्रमों, डिजिटल एवं लर्निंग रिसोर्स इत्यादि को शामिल किया गया है।”
(इंडिया साइंस वायर)