• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Science, Research, Technology, IIT Guwahati
Written By
Last Updated : गुरुवार, 30 सितम्बर 2021 (12:51 IST)

किसी विद्युत-चालक में पुनः शुरू हो सकता है इलेक्ट्रॉन का अवरुद्ध प्रवाह

किसी विद्युत-चालक में पुनः शुरू हो सकता है इलेक्ट्रॉन का अवरुद्ध प्रवाह - Science, Research, Technology, IIT Guwahati
नई दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं को ठोस पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों या विद्युत चालकता के गुणों के संचालन से जुड़ी एक अनोखी खोज में सफलता मिली है। किसी कटे हुए तार में संवाहक चरित्र के फिर से उभरने (या एक स्थिर आड़ की उपस्थिति में भी इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह को फिर से शुरू करना) से संबंधित पहलुओं को लेकर अतीत में किसी ठोस जानकारी का अभाव रहा है।

इस शोध के विशिष्ट पहलू को रेखांकित करते हुए आईआईटी गुवाहाटी में भौतिकी विभाग के प्रो. सौरभ बासु ने कहा,'अपने अध्ययन में हमने दिखाया है कि विशेष परिस्थितियों में इलेक्ट्रॉन के लिए क्वांटम यांत्रिक सिद्धांत का लागू करने के बाद करंट रुकने के बाद उसे फिर से आरंभ किया जा सकता है। इसमें बाड़ और तारों के गुणों को नियंत्रित करने और उसकी आवृत्ति अनुकूलतना पर विशेष ध्यान देना होता है।'

मूल रूप से इलेक्ट्रॉन परमाणुओं के महत्वपूर्ण घटक हैं। ये परमाणु पदार्थ के निर्माण खंड हैं। इनके विषय में यह बहुत ही बुनियादी पहलू हैं। किसी चालक में प्रवाहित विद्युत धारा इलेक्ट्रॉनों की गति के कारण होती है। उनके मार्ग में कोई बाधा डालने से उसका प्रवाह बाधित होता है, जैसे तांबे के तार को दो भागों में काटकर और फिर उन्हें बीच में एक प्लास्टिक इन्सुलेटर टुकड़े के साथ जोड़ने की स्थिति में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह बंद हो जाएगा।

पहले यही माना जाता था कि अब तार में करंट का प्रवाह नहीं होगा, परंतु शोध इसमें नई रोशनी डालता है। दरअसल इस मामले में अतीत के अनुभवों को लेकर यही धारणा बलवती रही कि इलेक्ट्रॉन प्लास्टिक को एक अवरोध के रूप में देखते हैं जो उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है।

इस शोध के महत्व पर आईआईटी गुवाहाटी में भौतिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. तपन मिश्रा ने कहा कि इस शोध के अकादमिक महत्व के साथ ही यह भविष्य के लिए भी बहुत उपयोगी सिद्ध होगा, जिससे कई विभिन्न प्रकार की तकनीकें प्रभावित होंगी। हालांकि इसके तात्कालिक व्यावहारिक उपयोग को लेकर फिलहाल कोई ठोस संकेत नहीं मिले हैं, लेकिन भविष्य के दृष्टिकोण से इस शोध के निष्कर्ष बहुत संभावनाएं जगाने वाले हैं।

अमेरिकन फिजिकल सोसायटी के प्रतिष्ठित फिजिकल रीव्यू लैटर्स में इस शोध के  निष्कर्ष प्रकाशित हुए हैं।
इस शोध में आईआईटी गुवाहाटी के भौतिकी विभाग से प्रो सौरभ बासु एवं डॉ तपन मिश्रा और पीएचडी स्कॉलर शिल्पी रॉय शामिल हैं। (इंडिया साइंस वायर)
ये भी पढ़ें
इक्वाडोर में जेलों में भड़की हिंसा, 116 लोगों की मौत