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सीमा हैदर की कुंडली खंगाल ली, लेकिन मीडिया यह नहीं दिखा सका कि मणिपुर में कितने गैंगरेप हुए?

मणिपुर और सीमा हैदर के शोर में देश के मीडिया की भूमिका क्‍या है?

सीमा हैदर की कुंडली खंगाल ली, लेकिन मीडिया यह नहीं दिखा सका कि मणिपुर में कितने गैंगरेप हुए? - role of the media in the noise of Manipur and Seema Haider?
Manipur violence : मणिपुर में 4 मई को सैकड़ों उन्‍मादियों की भीड़ के बीच दो युवतियों को सरेआम निर्वस्‍त्र करने की शर्मनाक घटना होती है। 18 मई को इस घटना की पुलिस में एफआईआर दर्ज होती है। इसके बाद तकरीबन आधा जुलाई बीत जाने तक कहीं किसी अखबार में सिंगल कॉलम या किसी टीवी में भी यह खबर नजर नहीं आती है। 19-20 जुलाई को इस वीभत्‍स और शर्मनाक घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में यह खबर सनसनी बन जाती है। इसके बाद ब्रिटेन की संसद में भी इस खबर को लेकर चर्चा होती है, और यह खबर अंतराष्‍ट्रीय हो जाती है।

मणिपुर की युवतियों को नग्‍न कर उनकी परेड की खबर राज्‍य की सरकार को बैकफुट पर ले आती है तो मुख्‍यमंत्री एन बीरेन सिंह का हैरान करने वाला बयान आता है कि इस तरह की घटनाओं की सैकड़ों एफआईआर दर्ज होती हैं। पीएम नरेंद्र मोदी को भी सामने आकर पीड़ा और क्रोध प्रकट करना पड़ता है।

सवाल यह है कि अगर इस बर्बरता का वीडियो सोशल मीडिया में नहीं आता तो क्‍या ये खबर देश के सामने आ पाती? सवाल यह भी है कि जिन बर्बर घटनाओं के वीडियो नहीं आए हैं, क्‍या वे घटनाएं देश के सामने आ पाएंगी। सबसे महत्‍वपूर्ण सवाल यह है कि घटना होने से लेकर वीडियो वायरल होने के बीच तक देश का मुख्‍यधारा का मीडिया क्‍या कर रहा था?

अगर गौर से देखा जाए तो जो टीवी न्‍यूज चैनल दिन-रात अपनी स्‍क्रीन पर चीख-चीखकर घटनाओं के रेशे-रेशे की जानकारी ब्रेकिंग के तौर पर बताते हैं, उनकी सामाजिक सरोकार वाली और रूरल खबरों में कोई भूमिका ही नहीं है। अगर मणिपुर का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल नहीं होता तो यह खबर कभी सामने नहीं आ पाती। क्‍योंकि पूरे देश का मीडिया पाकिस्‍तान से आई सीमा हैदर की आड़ में छुपी टीआरपी को एंजॉय कर रहा था।

3 मई को मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी जो अब तक चल रही है, लेकिन मीडिया के पास सिवाय कुछ तस्‍वीरों और फुटेज के कोई इन्‍वेस्‍टिगेशन नहीं है। मीडिया के पास कोई इनडेप्‍थ स्‍टोरी नहीं है, जिससे यह समझ में आए कि आखिर मणिपुर में हकीकत में हो क्‍या रहा है?

संभवत: मणिपुर के स्‍थानीय मीडिया ने DCR (Daily crime report) तो लिया ही होगा, लेकिन नेशनल मीडिया ने शायद ही उस डीसीआर को देखा या फॉलो किया। पत्रकारिता में काम करने वाला हर शख्‍स जानता है कि हर थाने से रात को डीसीआर भेजा जाता है, जिसमें दिनभर की क्राइम रिपोर्ट की स्‍थिति होती है। उसे देखकर ही क्राइम की खबरें डेवलेप की जाती हैं। लेकिन दो युवतियों को नग्‍न कर उनके साथ हैवानियत की घटना का 19 या 20 जुलाई के पहले कहीं जिक्र तक नहीं था।

यही मीडिया बिपरजॉय तूफान की तबाही दिखाने के लिए अपने स्‍टूडियो में फर्जी दृश्‍य बनाकर देश की जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहा था। यही मीडिया हिमाचल और उत्‍तर भारत में आई बाढ में चार फीट पानी में उतरकर पानी की गहराई और भयावहता दिखा रहा था और सड़कों पर भरे पानी में नाव चला रहा था। लेकिन मणिपुर की हिंसा, आगजनी और गोलियों की आवाजों के बीच देश के किसी टीवी चैनल का जांबाज पत्रकार नजर नहीं आया।

ठीक इसी समय मीडिया ने पाकिस्‍तानी सीमा हैदर की पूरी कुंडली खंगाल डाली। उसके पति, आर्मी में सेवा दे रहे भाई, उसके चार बच्‍चे और उसकी पाकिस्‍तान टू इंडिया की पूरी यात्रा का ब्‍यौरा दिखा डाला। सीमा सचिन से कितना प्‍यार करती है, सीमा हैदर कैसे तुलसी की पूजा करती है, उसके पास कितने पासपोर्ट और मोबाइल हैं, सिम है, यह सब मीडिया ने खंगाल डाला, लेकिन मणिपुर में कितने लोग मारे गए, कितनी महिलाओं के गैंगरेप हो गए, कितने मैतेई, कितने कुकी घर बर्बाद हो गए यह सब नहीं दिखा पाया। यहां तक कि मणिपुर को लेकर राज्‍य और केंद्र सरकार का इतनी लापरवाही वाला रवैया क्‍यों रहा, यह एक सवाल भी नहीं उठा पाया।

जाहिर है सोशल मीडिया न होता तो देश के मुख्‍यधारा वाले इस मीडिया का क्‍या होता यह तो यह मीडिया खुद ही नहीं जानता है।
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