Priyanka Gandhi will contest election for the first time : वर्ष 2019 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद से प्रियंका गांधी वाड्रा के कभी अमेठी, तो कभी रायबरेली और यहां तक कि वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर समय-समय पर अटकलें लगाई जाती रहीं, लेकिन कांग्रेस के उन्हें वायनाड सीट से उपचुनाव में मैदान में उतारने की घोषणा के बाद अब इन पर विराम लग गया है।
कांग्रेस ने सोमवार को फैसला किया कि राहुल गांधी रायबरेली के सांसद बने रहेंगे और वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे। केरल की वायनाड सीट से राहुल गांधी ने लगातार दो बार जीत दर्ज की। राहुल ने 2019 में वायनाड से पहली बार आसानी से जीत हासिल की थी, जब उन्हें परिवार के गढ़ अमेठी में हार का सामना करना पड़ा था। हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में राहुल ने फिर से वायनाड से चुनाव लड़ा, लेकिन अमेठी छोड़कर रायबरेली चले गए।
अमेठी, रायबरेली और वाराणसी संसदीय सीट से उम्मीदवारी की चर्चा के बाद प्रियंका (52) अंततः केरल के वायनाड से चुनावी राजनीति में पदार्पण करेंगी। केरल एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस ने 2019 के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
राहुल की अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी : प्रियंका गांधी ने सोमवार को (वायनाड से) अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कहा, मुझे जरा भी घबराहट नहीं है... मैं बहुत खुश हूं कि मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा। मैं सिर्फ इतना कहूंगी कि मैं उन्हें (वायनाड की जनता) उनकी (राहुल की) अनुपस्थिति महसूस नहीं होने दूंगी... मेरा रायबरेली से अच्छा नाता है, क्योंकि मैंने वहां 20 साल तक काम किया है और यह रिश्ता कभी नहीं टूटेगा।
सक्रिय राजनीति में आने के बाद जनवरी 2019 में उन्हें महत्वपूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया और फिर पूरे राज्य का प्रभारी महासचिव बनाया गया। हालांकि 2019 के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन प्रियंका ने जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के अपने प्रयास जारी रखे।
दिसंबर 2023 में, प्रियंका को बिना पोर्टफोलियो के महासचिव बनाया गया और वह कांग्रेस की प्रमुख रणनीतिकार और बाद में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्टार प्रचारक के रूप में उभरीं। उन्होंने संगठन को मजबूत करने में भी मदद की और हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया और राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की। उनके प्रचार अभियान ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट जीतने में मदद की। वहीं 2019 में यह आंकड़ा 52 था।
तीनों एकसाथ संसद में होंगे : प्रियंका के पति एवं व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा ने हालिया लोकसभा चुनाव से पहले अमेठी से चुनाव लड़ने की इच्छा कई बार जताई थी। इस सीट से अंततः परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा गया, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की नेता स्मृति ईरानी को हराया। यदि प्रियंका गांधी लोकसभा उपचुनाव जीत जाती हैं, तो यह पहली बार होगा कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों एक साथ संसद में होंगे। सोनिया गांधी फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के आश्चर्यजनक रूप से अच्छे प्रदर्शन के साथ प्रियंका गांधी वाड्रा ने पार्टी के एक करिश्माई नेता के रूप में अपनी स्थिति भी मजबूत कर ली है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की संसद में मौजूदगी से जनता की आवाज और बुलंद होगी।
'24 अकबर रोड : ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस' सहित कई किताबें लिखने वाले रशीद किदवई ने कहा, कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनाव में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से मोदी को जवाब दिया है, वह आश्चर्यजनक विकल्प के तौर पर उभरी हैं। प्रियंका गांधी ने दिखाया कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और उन्होंने पूरे भारत में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रचार के दौरान कमाल कर दिया : राजनीतिक टिप्पणीकार और कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने प्रियंका गांधी को शानदार प्रचारक बताया। उन्होंने कहा, मोदी के कटाक्षों का तीखा और त्वरित जवाब देकर उन्होंने प्रचार के दौरान कमाल कर दिया। उनकी मौजूदगी जादुई रही है। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने 543 में से 234 सीट जीतीं, जबकि 99 सीट जीतकर कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। कांग्रेस चुनाव अभियान में जोरदार वापसी करती दिखी और प्रियंका ने मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के लगातार हमलों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री मोदी के सोने और मंगलसूत्र वाले बयान पर पलटवार करते हुए भावुक प्रियंका ने मतदाताओं को याद दिलाया कि उनकी मां सोनिया गांधी ने देश के लिए अपना मंगलसूत्र बलिदान कर दिया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2014 और 2019 के चुनावों की तुलना में हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी को संसद में मजबूत स्थिति में पहुंचाने के बाद वायनाड से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है।
कुशलता से संतुलन बनाए रखा : हालिया चुनाव में अपने बचपन, पिता राजीव गांधी की हत्या के दर्द और मां के दुख पर चर्चा करते हुए उन्होंने कांग्रेस के अभियान की कमान संभाली, पारिवारिक संबंधों और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा के बीच कुशलता से संतुलन बनाए रखा और एक रणनीतिकार, वक्ता और भीड़ को आकर्षित करने वाली नेता साबित हुईं।
उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में 108 जनसभाएं और रोडशो किए। उन्होंने 16 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में प्रचार किया और अमेठी और रायबरेली में कार्यकर्ताओं के दो सम्मेलनों को भी संबोधित किया। उनके अधिकांश भाषण भीड़ से संवाद करने जैसे थे, जो लोगों से जुड़ाव स्थापित करते थे और लोगों को यह आभास देते थे कि यह कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे वे जानते हैं, कोई ऐसा है, जो उनके साथ अपनी भावनाओं और विचारों को साझा कर रहा है।
देशभर में उनके चुनावी भाषणों में जवाबदेही का लगातार उल्लेख हुआ। प्रियंका ने लोगों से धर्म और जाति के आधार पर भावनात्मक मुद्दों पर वोट न करने और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए रोटी-रोज़ी के मुद्दों पर वोट करने की अपील की। हालिया आम चुनाव में राहुल ने वायनाड में 64.7 प्रतिशत वोट हासिल करके अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की एनी राजा को 3.64 लाख मतों के अंतर से हराया। भाजपा उम्मीदवार के. सुरेंद्रन 1.3 लाख वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour