पीएम मोदी को भा गया राष्ट्रपति का गांव, परिवारवाद पर किया कड़ा प्रहार
कानपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के गांव आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद खुद हुए। इस अवसर पर उन्होंने परिवारवाद पर कड़ा प्रहार किया। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज यहां आकर वाकई मन को बहुत सुकून मिला है। इस गांव ने राष्ट्रपति जी का बचपन भी देखा है और बड़े होने पर उनको हर भारतीय का गौरव बनते हुए भी देखा है। यहां आने से पहले राष्ट्रपति जी ने मुझसे इस गांव से जुड़ी कई यादें भी साझा की।
आज राष्ट्रपति जी के गांव में आने का मेरा ये अनुभव एक सुखद स्मृति की तरह है। जब मैं राष्ट्रपति जी के साथ विभिन्न स्थानों को देख रहा था, तो मैंने भारत के गांव की कई आदर्श छवियों को भी महसूस किया। राष्ट्रपति जी ने अपने पैतृक आवास को मिलन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए दे दिया था। आज वो विमर्श और ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर महिला सशक्तिकरण को नई ताकत दे रहा है।
पीएम मोदी ने कहा, महात्मा गांधी भारत की आजादी को भारत के गांव से जोड़कर देखते थे। भारत का गांव यानी, जहां आध्यात्म भी हो, आदर्श भी हों! भारत का गांव यानी, जहां परंपराएं भी हों, और प्रगतिशीलता भी हो! भारत का गांव यानी, जहां संस्कार भी हो, सहकार भी हो!
परिवारवाद पर हमला : भारत में गांव में पैदा हुआ गरीब से गरीब व्यक्ति भी राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री-राज्यपाल-मुख्यमंत्री के पद पहुंच सकता है। आज जब हम लोकतंत्र की इस ताकत की चर्चा कर रहे हैं तो हमें इसके सामने खड़ी परिवारवाद जैसी चुनौतियों से भी सावधान रहने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ये परिवारवाद ही है जो राजनीति ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में प्रतिभाओं का गला घोंटता है, उन्हें आगे बढ़ने से रोकता है मैं देख रहा हूं कि जो लोग परिवारवाद की मेरी व्याख्या में सही बैठते हैं वो लोग मुझसे भड़के हुए हैं। देश के कोने-कोने में ये परिवारवादी मेरे खिलाफ एक जुट हो रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि वो इस बात से भी नाराज हैं कि क्यों देश का युवा परिवारवाद के खिलाफ मोदी की बातों को इतना गंभीरता से ले रहा है। मैं इन लोगों को कहना चाहता हूं कि मेरी इस बात का गलत अर्थ ना निकालें।
एक तरफ संविधान, दूसरी तरफ संस्कार : पीएम मोदी ने कहा कि परोपकार की मिट्टी से राष्ट्रपति जी को जो संस्कार मिले हैं उसकी साझी आज दुनिया बन रही है। मैं देख रहा था कि एक तरफ संविधान और दूसरी तरफ संस्कार। आज राष्ट्रपति जी ने पद के द्वारा बनी हुई सारी मर्यादाओं से बाहर निकलकर मुझे आज हैरान कर दिया कि वे स्वयं हेलीपैड पर मुझे लेने आए।
मैंने कहा राष्ट्रपति जी आपने मेरे साथ अन्याय कर दिया, तो उन्होंने सहज रूप से कहा कि संविधान की मर्यादाओं का पालन तो मैं करता हूं लेकिन कभी-कभी संस्कार की भी अपनी ताकत होती है। आज आप मेरे गांव आए हैं, मैं यहां पर अतिथि का सत्कार करने आया हूं, राष्ट्रपति के रूप में नहीं आया हूं।(भाषा)