शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Prime Ministe Narendra Modi said Buddha's teachings have solutions to global problems
Written By
Last Modified: गुरुवार, 20 अप्रैल 2023 (17:21 IST)

Buddhist Summit : PM मोदी ने कहा, बुद्ध के उपदेशों में हैं वैश्विक समस्याओं के समाधान...

Narendra Modi
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन
  • भारत के अलावा 30 देशों के 170 प्रतिनिधि इस बड़े आयोजन में भाग ले रहे हैं
  • प्रधानमंत्री मोदी बोले- महात्मा बुद्ध के उपदेशों में वैश्विक समस्याओं का समाधान है
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन-रूस युद्ध, मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चिंताओं को इस सदी की सबसे बड़ी चुनौतियां करार देते हुए कहा कि महात्मा बुद्ध के उपदेशों में इन सारी समास्याओं के समाधान है।

राजधानी स्थित अशोक होटल में आयोजित पहले वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने यह कहते हुए समृद्ध देशों पर भी निशाना साधा कि दुनिया आज जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना कर रही है क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में और आने वाली पीढ़ियों के बारे में सोचना ही बंद कर दिया था।

उन्होंने कहा, दशकों तक वो यही सोचते रहे कि प्रकृति से इस छेड़छाड़ का प्रभाव उनके ऊपर नहीं आएगा। वो देश इसे दूसरों के ऊपर ही डालते रहे। प्रधानमंत्री ने बुद्ध के दिखाए मार्ग को भविष्य और पर्यावरण अनुकूलता का मार्ग बताया और कहा कि अगर विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता, तो जलवायु परिवर्तन जैसा संकट भी सामने नहीं आता।

भगवान बुद्ध की विभिन्न शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि आज यह समय की मांग है कि हर व्यक्ति की, हर राष्ट्र की प्राथमिकता अपने देश के हित के साथ ही विश्व हित भी हो। उन्होंने कहा, एक बेहतर और स्थिर विश्व की स्थापना के लिए यही एक मार्ग है।

उन्होंने कहा, हमें विश्व को सुखी बनाना है तो हमें स्व से निकलकर संसार और संकुचित सोच को त्यागकर समग्रता का मंत्र अपनाना होगा और यही बुद्ध का भी मंत्र है। मोदी ने कहा कि सभी को अपने आसपास गरीबी से जूझ रहे लोगों के बारे में और साथ ही संसाधनों के अभाव से जूझ रहे देशों के बारे में सोचना ही होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बात सर्व स्वीकार्य है कि आज का यह समय इस सदी का सबसे चुनौतीपूर्ण समय है।

उन्होंने कहा, आज एक ओर महीनों से दो देशों में युद्ध चल रहा है तो वहीं दुनिया आर्थिक अस्थिरता से भी गुजर रही है। आतंकवाद और मज़हबी उन्माद जैसे खतरे मानवता की आत्मा पर प्रहार कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौती पूरी मानवता के अस्तित्व पर आफत बनकर मंडरा रही है।

उन्होंने कहा, ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं। पारिस्थितिकीय तंत्र नष्ट हो रहे है। प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं। लेकिन इन सबके बीच हमारे आप जैसे करोड़ों लोग भी हैं जिन्हें बुद्ध में आस्था है और जीव मात्र के कल्याण में विश्वास है।

प्रधानमंत्री ने इस उम्मीद को इस धरती की सबसे बड़ी ताकत करार दिया और कहा कि जब यह ताकत एकजुट होगी तो ‘बुद्ध का धम्म’ विश्व की धारणा बन जाएगा और ‘बुद्ध का बोध’ मानवता का विश्वास बन जाएगा।

उन्होंने कहा कि आधुनिक विश्व की ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान सैकड़ों वर्ष पहले दिए गए बुद्ध के उपदेशों में न हो। उन्होंने कहा कि आज दुनिया जिस युद्ध और अशांति से पीड़ित है, उसका समाधान बुद्ध ने सदियों पहले दे दिया था।

मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से प्रेरित होकर भारत वैश्विक कल्याण के लिए नई पहल कर रहा है और उनकी सरकार भगवान बुद्ध के मूल्यों का निरंतर प्रसार कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने भारत तथा नेपाल में बुद्ध सर्किट को उन्नत बनाया, कुशीनगर और लुंबिनी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास किया गया, जहां भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति केंद्र स्थापित कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इस दिशा में समग्रता से कार्य कर रहा है।

भारत के अलावा 30 देशों के 170 प्रतिनिधि इस बड़े आयोजन में भाग ले रहे हैं। प्रतिनिधियों में प्रख्यात बौद्ध भिक्षु, विद्वान, राजदूत और राजनयिक शामिल हैं। कुछ साल पहले संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषाण को याद करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने गर्व के साथ कहा था कि भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं।

उन्होंने कहा, जहां बुद्ध की करुणा हो, वहां संघर्ष नहीं समन्वय होता है, अशांति नहीं शांति होती है। मोदी ने कहा कि आज बहुत आवश्यक है कि विश्व, कोरी भौतिकता और स्वार्थ की परिभाषाओं से निकलकर बुद्ध के ‘भवतु सब्ब मंगलम्’ भाव को आत्मसात करे।

उन्होंने कहा, बुद्ध को केवल प्रतीक नहीं, बल्कि प्रतिबिंब भी बनाया जाए, तभी ‘भवतु सब्ब मंगलम्’ का संकल्प चरितार्थ होगा। इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी संस्कृति मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से कर रहा है।

शिखर सम्मेलन का विषय समकालीन चुनौतियों पर प्रतिक्रिया : अभ्यास के लिए दर्शन है। यह वैश्विक शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म में भारत के महत्व और अहमियत को चिन्हित करेगा। शिखर सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य शाक्यमुनि बुद्ध की शिक्षाओं पर गौर करना है जो सदियों से बुद्ध धम्म के अभ्यास से लगातार समृद्ध होती रही हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
ये भी पढ़ें
अतीक अहमद के प्रेम में बहके कांग्रेस नेता, ‘शहीद’ बताकर की ‘भारत रत्‍न’ की मांग, महाराष्ट्र में लगे अतीक के पोस्टर