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Last Updated : रविवार, 4 जून 2023 (10:16 IST)

ओडिशा ट्रेन हादसा : ट्रेनों की आवाजाही बंद, रात भर चला रेलवे ट्रेक की मरम्मत का काम

ओडिशा ट्रेन हादसा : ट्रेनों की आवाजाही बंद, रात भर चला रेलवे ट्रेक की मरम्मत का काम - Odisha Train accident : restoration work on railway track
Odisha Train accident : ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को 3 ट्रेनों की भीषण टक्कर के बाद से ही यहां रेल यातायात ठप है। हादसे के 36 घंटों बाद भी रेलवे ट्रेक की मरम्मत का काम चल रहा है। ट्रेक पर यातायात शुरू करने के लिए टीमें रातभर जुटी रही।
हादसे के बाद सेना, NDRF, रेलवे, पुलिस और अन्य एजेंसियों ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। इसमें बड़ी संख्‍या में स्थानीय संगठन भी मददगार बने। रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के बाद रेलवे ट्रेक की मरम्मत का काम शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि ट्रेक पर रेल यातायात शुरू होने में कुछ घंटे और लगेंगे। 
 
रोंगटे खड़े करने वाला दृश्य : दुर्घटना में 21 डिब्बे पटरी से उतर गए और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे सैकड़ों यात्री फंस गए। दोनों यात्री रेलगाड़ियां तीव्र गति से चल रही थीं और विशेषज्ञों ने इसे हताहतों की अधिक संख्या के मुख्य कारणों में से एक बताया है।
 
दुर्घटना स्थल ऐसा लग रहा था, जैसे एक शक्तिशाली बवंडर ने रेलगाड़ी के डिब्बों को खिलौनों की तरह एक दूसरे के ऊपर फेंक दिया हो। मलबे को हटाने के लिए बड़ी क्रेन को लाया गया और क्षतिग्रस्त डिब्बों से शव निकालने के लिए गैस कटर का इस्तेमाल किया गया।
90 ट्रेन रद्द, 46 का रास्ता बदला : रेल हादसे के बाद करीब 90 ट्रेन को रद्द किया गया है जबकि 46 ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन किया गया। इसके साथ ही 11 ट्रेन को उनके गंतव्य से पहले ही रोक दिया गया है। हादसे के कारण प्रभावित ज्यादातर ट्रेन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन की हैं।
 
NDRF जवान ने सबसे पहले किया था सतर्क: कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) के एक जवान शायद पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने शुरुआती बचाव प्रयासों में शामिल होने से पहले ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बारे में आपातकालीन सेवाओं को सतर्क किया था।
 
एनडीआरएफ के जवान वेंकटेश एन. के. छुट्टी पर थे और पश्चिम बंगाल के हावड़ा से तमिलनाडु की यात्रा कर रहे थे। वह बाल-बाल बच गए क्योंकि जिस डिब्बे ‘बी-7’ में वह सवार थे, वह पटरी से उतर गया था लेकिन आगे के डिब्बों से नहीं टकराया। 39 वर्षीय वेंकटेश ने सबसे पहले बटालियन में अपने वरिष्ठ निरीक्षक को फोन करके दुर्घटना की जानकारी दी। उसके बाद उन्होंने व्हाट्सएप पर घटनास्थल की ‘लाइव लोकेशन’ एनडीआरएफ नियंत्रण कक्ष को भेजी और इसका इस्तेमाल पहले बचाव दल ने मौके पर पहुंचने के लिए किया।
 
उल्लेखनीय है कि बालासोर जिले में शुक्रवार की शाम लगभग सात बजे शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन के पटरी से उतरने और एक मालगाड़ी से टकराने से यह हादसा हुआ, जिसमें कम से कम 288 लोगों की मौत हो गई और 1,100 से अधिक यात्री घायल हो गए।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्घटनास्थल का दौरा किया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के साथ-साथ आपदा प्रबंधन दलों के अधिकारियों ने उन्हें जानकारी दी। उन्होंने अस्पताल में कुछ घायलों से भी मुलाकात की।
 
ओडिशा के बालासोर जिले में शुक्रवार को हुए रेल हादसे की जांचकर्ता मानवीय त्रुटि, सिग्नल फेल होने और अन्य संभावित पहलुओं से जांच कर रहे हैं। अधिकारियों ने इस भयावह रेल हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपी है। (इनपुट : भाषा)
Edited by : Nrapendra Gupta