अब 4 साल के अंडर ग्रेजुएट कोर्स के बाद भी की जा सकेगी पीएचडी, जानिए कब से होगी शुरुआत
नई दिल्ली। 4 साल की अंडर ग्रेजुएट डिग्री (FYUP) में 7.5/10 का न्यूनतम सीजीपीए स्कोर पाने वाले छात्र अब मास्टर्स डिग्री किए बिना पीएचडी कर सकते हैं। इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्वीकार कर लिया है। कई वर्षों से विद्यार्थियों द्वारा इसकी मांग की जा रही थी। कहा जा रहा है कि अगले कुछ हफ्तों में यूजीसी की ओर से इसकी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्रकाशित की जा सकती है।
विश्विद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रिया संबंधी विनियम की घोषणा जून 2022 के अंत तक किए जाने की संभावना है, जिसके आधार पर ये फैसला सत्र 2022-23 से लागू कर दिया जाएगा।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) में भी इसका उल्लेख किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 4 साल या 8 सेमेस्टर की अंडर ग्रेजुएट डिग्री पाने वाले छात्र न्यूनतम 7.5/10 सीजीपीए स्कोर करके रिसर्च कोर्स के लिए अप्लाई कर सकते हैं। सरकार ने अनुसूचित जाति/जनजाति /पिछड़ा वर्ग/ विकलांग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए 0.5 सीजीपीए की छूट की पेशकश भी की थी।
यूजीसी के अध्यक्ष का कहना है कि चार साल का अंडर ग्रेजुएट कोर्स करने वाले छात्रों को पीएचडी करने के लिए प्रोत्साहित करना रिसर्च के क्षेत्र में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए हम 4 साल के यूजी कोर्स में 7.5 सीजीपीए या उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रों को ये मौका दे रहे हैं। अब उन्हें पीएचडी करने के लिए मास्टर्स डिग्री करने की आवश्यकता नहीं होगी।
यूजीसी से डिग्री में प्रवेश के दो तरीकों की सिफारिश की गई है। पहला राज्य स्तरीय प्रवेश परीक्षा आयोजित करके 100% एडमिशन, या फिर राष्ट्रीय स्तर और विश्वविद्यालय या राज्य स्तर की प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन कर सीटों को 60-40 में विभाजित करते हुए भी प्रवेश दिया जा सकता है। अगर उम्मीदवारों द्वारा प्रवेश परीक्षा की कुल सीटें भर दी जाती हैं, तो प्रवेश इंटरव्यू या वायवा के आधार पर होगा।