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Last Updated : रविवार, 28 अगस्त 2022 (17:45 IST)

Twin Towers Demolition : Twin Towers : 3700 किलो विस्फोटक और वाटरफॉल इम्प्लोजन टेक्नोलॉजी से ढहाया भ्रष्टाचार का टि्वन टावर

Twin Towers Demolition : Twin Towers : 3700 किलो विस्फोटक और वाटरफॉल इम्प्लोजन टेक्नोलॉजी से ढहाया भ्रष्टाचार का टि्वन टावर - Noida Twin Tower Demolition
नोएडा। नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टॉवर (Twin Towers) को रविवार दोपहर धराशायी कर दिया गया। अवैध रूप से निर्मित इन ढांचों को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई। लगभग 100 मीटर ऊंचे ढांचों को विस्फोट कर चंद सेकेंड में गिरा दिया गया।
 
 दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुब मीनार (73 मीटर) से भी ऊंचे गगनचुंबी ट्विन टावर को ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक की मदद से गिराया गया। ट्विन टावर को ध्वस्त किये जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं।
 
ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त किए गए सबसे ऊंचे ढांचे थे। राष्ट्रीय राजधानी से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे। इमारतों को ध्वस्त करने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया।
ट्विन टावर को गिराने का कार्य करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग के एक अधिकारी ने बताया कि एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के आसपास मौजूद आवासीय इमारतों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
 
एडिफिस, दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) और नोएडा के अधिकारी ट्विन टावर के पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज की इमारतों का संरचनागत विश्लेषण कर रहे हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि धूल पर पानी का छिड़काव करने के लिए ‘एंटी स्मॉग गन’ (पानी का छिड़काव करने वाले उपकरण) का उपयोग किया जा रहा है। ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित थे।
 
इन ढांचों को ध्वस्त किए जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया। इसके अलावा करीब 3,000 वाहनों तथा बिल्ली और कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया।
 
अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।
 
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि जिले के अधिकारियों की सांठगांठ के साथ भवन नियमों का उल्लंघन किया गया।
 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण से कठोरता से निपटने की जरूरत है ताकि कानून का शासन का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
 
मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को ट्विन टावर को गिराने का कार्य सौंपा गया था। कंपनी ने इस जोखिम भरे कार्य के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था। शीर्ष न्यायालय द्वारा सीबीआरआई को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था।
 
एडिफिस इंजीनियरिंग और जेट डिमॉलिशन्स ने इससे पहले 2020 में कोच्चि (केरल) स्थित मराडू कॉम्प्लेक्स को ढहाया था, जिसमें 18 से 20 मंजिलों वाले चार आवासीय भवन थे।
 
वर्ष 2019 में जेट डिमॉलिशन्स ने जोहानिसबर्ग (दक्षिण अफ्रीका) में बैंक ऑफ लिस्बन की 108 मीटर ऊंची इमारत को ढहाया था।
 
आखिरी समय में सोता मिला व्यक्ति : नोएडा में ट्विन टावर गिराये जाने से पहले एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के एक ‘विशेष कार्यबल’ ने एक महीने पहले बहुत बारीकी से बनाई गई योजना के तहत सोसाइटी के सभी लोगों को वहां से बाहर निकाल लिया था।
 
सोसाइटी के बाशिंदे शुक्रवार से ही बाहर जाने लगे थे। जिन्हें नोएडा से कहीं बाहर जाना था वे पहले ही चले गए थे और जिनकी कहीं आसपास ठहरने की योजना थी, उन्होंने रविवार सुबह तक इंतजार किया। इसी सोसाइटी में ये दोनों अवैध टावर हैं।
 
सुबह सात बजे बच्चों एवं बुजुर्गों समेत लगभग सभी लोग सोसाइटी के विशेष कार्यबल के सुनियोजित प्रयास के तहत 15 आवासीय टावर को खाली कर चुके थे। एमराल्ड कोर्ट के गौरव मेहरोत्रा ने कार्यबल का नेतृत्व किया। हालांकि सुबह सात बजे से ठीक कुछ देर पहले एक सुरक्षागार्ड ने विशेष कार्यबल को एक टॉवर की ऊपरी मंजिल पर एक व्यक्ति के रह जाने की सूचना दी।
 
विशेष कार्यबल के सदस्य नरेश केशवानी ने पीटीआई से कहा कि टावर खाली कराने की हमारी दोहरी पुष्टिकरण प्रक्रिया के चलते हमें इसके बारे में पता चला। जानकारी सामने आयी कि एक को छोड़कर सभी लोग टावर से चले गये। यह भी पता चला कि यह व्यक्ति अपार्टमेंट में गहरी नींद में सो रहा था और टावर खाली करने की समय सीमा की बात उसके दिमाग से निकल गयी थी। केशवानी ने कहा, ‘‘किसी तरह सुरक्षाकर्मियों ने उसे जगाया और उसे महज सात बजे के आसपास टावर से बाहर लाया गया।’’
 
उन्होंने कहा कि विशेष कार्यबल ने एक महीने तक चिंतन-मनन किया और उसने दोहरी पुष्टिकरण प्रक्रिया बनाई। उन्होंने कहा कि इसी दोहरे पुष्टिकरण प्रक्रिया के चलते ऐसा हो सका कि सो रहे व्यक्ति की पहचान हो पायी और उसे सुरक्षित बाहर निकाला गया।
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