• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. राष्ट्रीय
  4. Nitish Kumar Bihar Lalu Prasad Yadav bjp
Written By
Last Modified: शनिवार, 23 दिसंबर 2017 (20:15 IST)

नीतीश कुमार ने पढ़ ली थी 'भविष्य' की इबारत

नीतीश कुमार ने पढ़ ली थी 'भविष्य' की इबारत - Nitish Kumar Bihar Lalu Prasad Yadav bjp
बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने जब जुलाई 2017 में लालू यादव का साथ छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया तो उनकी उस समय खूब आलोचना हुई थी, लेकिन अब यदि उनके उस फैसले के बारे में विचार किया जाए तो यही कहा जाएगा कि उनका फैसला बिलकुल सही था। ऐसा लगता है मानो भविष्य की इबारत को पढ़ लिया था। 
 
यदि उस समय उन्होंने यह निर्णय ‍नहीं किया होता तो संभव है उन्हें यह फैसला साल के आखिरी में यानी 23 दिसंबर को लेना पड़ता, जब लालू यादव को चारा घोटाले मामले में दोषी ठहरा दिया गया। कोर्ट के इस फैसले के बाद लालू को जेल जाना पड़ा, ऐसे में नीतीश पर दबाव होता कि वे नैतिकता के आधार पर राजद का साथ छोड़ें। हो सकता है कि ऐसी स्थिति में उनकी सरकार भी दांव पर लग सकती थी। 
 
नीतीश अपने फैसले पर अब गर्व भी कर सकते हैं कि उन्होंने सही समय पर सही फैसला लिया। लालू यादव को रांची की अदालत ने फिलहाल दोषी ठहराया है। सजा का ऐलान 3 जनवरी, 2018 को किया जाएगा। वैसे चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू फिलहाल जमानत पर हैं। उस मामले में लालू को कोर्ट ने 5 साल की सजा दी थी। 
 
यूं तो लालू परिवार वर्तमान में संकट के दौर से गुजर रहा है, लेकिन माना जा रहा है लालू के जेल जाने के बाद उनके परिवार पर शिकंजा और कसा जा सकता है क्योंकि लालू पुत्र तेजप्रताप प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के उपमुख्‍यमंत्री सुशील कुमार के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां कर चुके हैं। लालू ने भी भाजपा और मोदी को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे में वे पहले से ही केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर हैं। 
 
गठबंधन पर संकट : लालू के जेल जाने के बाद 2019 के संभावित गठजोड़ पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं क्योंकि किसी समय तीसरे मोर्चे की उम्मीद रहे नीतीश कुमार अब भाजपा की गोद में बैठ चुके हैं, वहीं सजा मिलने के बाद लालू यादव की पार्टी से शायद ही कोई गठजोड़ करना चाहे।
 
दूसरी ओर यूपी में अखिलेश और मायावती को साथ लेने की बातें कई बार होती हैं, लेकिन अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते यह प्रयास धरातल पर आने से पहले ही बिखर जाते हैं। कांग्रेस गुजरात के प्रदर्शन से आत्मविश्वास से लबरेज तो है, लेकिन अकेले दम पर भाजपा का मुकाबला कर सके, फिलहाल तो ऐसा दिखाई नहीं देता। हालांकि तीसरे मोर्चे की संभावना और भविष्य 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे। 2018 में कर्नाटक के साथ ही मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व के राज्यों में भी चुनाव होने हैं। (वेबदुनिया न्यूज डेस्क)
ये भी पढ़ें
नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी गोलीबारी में मेजर सहित चार सैनिक शहीद