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Last Modified: नागपुर , शुक्रवार, 7 जुलाई 2023 (19:56 IST)

अब सिलाए सूट का क्या करें मंत्री पद के ख्वाहिशमंद? महाराष्ट्र की राजनीति पर गडकरी की चुटकी

अब सिलाए सूट का क्या करें मंत्री पद के ख्वाहिशमंद? महाराष्ट्र की राजनीति पर गडकरी की चुटकी - Nitin Gadkari quip on Maharashtra politics
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जाहिरा तौर पर महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को लेकर टिप्पणी करते हुए शुक्रवार को कहा कि मंत्री पद की चाह रखने वाले लोग अब दुखी हैं क्योंकि इसके लिए ‘भीड़’ है। इसके साथ ही गडकरी ने कहा कि ऐसे लोगों को समझ नहीं आ रहा है कि (मंत्री बनने पर पहनने के लिए) ‘सिलाए गए सूट’ का क्या करें।
 
नागपुर विद्यापीठ शिक्षण मंच द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गडकरी ने भूटान के प्रधानमंत्री द्वारा दिए ‘घरेलू मानव खुशी सूचकांक’ का संदर्भ दिया और कहा कि अधिकतर लोग कभी खुश नहीं होते।
 
कैसे खुश रहें : सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता गडकरी ने कहा कि अगर व्यक्ति स्वीकार कर ले कि वह जितने का हकदार है, उसे उससे अधिक मिला है तो वह व्यक्ति खुश और संतुष्ट रह सकता है।
 
उन्होंने कहा कि अन्यथा पार्षद नाखुश हैं कि वे विधायक नहीं बन सके, विधायक नाखुश हैं कि वे मंत्री नहीं बन सके और मंत्री इसलिए नाखुश रहते हैं कि उन्हें अच्छा मंत्रालय नहीं मिला है।
 
कार्यक्रम में मौजूद श्रोताओं की तालियों के बीच उन्होंने कहा कि अब जो मंत्री बनने जा रहे हैं, वे यह सोचकर नाखुश हैं कि उनकी बारी कभी आएगी भी या नहीं, यहां बहुत भीड़ हो गई है।
 
अब सूट का क्या करें : गडकरी ने मजाकिया लहजे में कहा कि वे लोग सूट (शपथ ग्रहण समारोह के लिए) सिलाकर तैयार थे। अब सवाल यह है कि उस सूट का क्या करें क्योंकि (मंत्री पद के आकांक्षियों की) भारी भीड़ है।
 
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को जिस सभागार में आयोजित किया जा रहा है, उसकी क्षमता 2200 है तथा इसमें और भी बहुत लोग समा सकते हैं, लेकिन मंत्रिमंडल का आकार नहीं बढ़ाया जा सकता है।
 
अजित पवार के नेतृत्व में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का एक गुट दो जुलाई को महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुआ। इसके बाद से विपक्षी नेता दावा कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत गुट और उसके सहयोगी दल भाजपा के कई विधायक नाराज हैं क्योंकि उनके मंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को धक्का लगा है। (भाषा)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 
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