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Last Updated : बुधवार, 10 मई 2023 (14:43 IST)

NCLT ने दिवाला कार्यवाही को लेकर गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार की

NCLT ने दिवाला कार्यवाही को लेकर गो फर्स्ट की याचिका स्वीकार की - NCLT accepts GoFirst's plea for insolvency proceedings
Go First: नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने बुधवार को ऋणशोधन कार्यवाही शुरू करने को लेकर स्वेच्छा से दायर गो फर्स्ट (Go First) की याचिका स्वीकार कर ली। इसके साथ ही अध्यक्ष न्यायमूर्ति रामलिंग सुधाकर तथा एलएन गुप्ता की पीठ ने कर्ज में फंसी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया।
 
पीठ ने कंपनी को किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से संरक्षण भी दिया और ऋणशोधन कार्यवाही के दौरान उसे चलाने के लिए निलंबित निदेशक मंडल से समाधान पेशेवर की मदद करने को कहा। इसके अलावा एनसीएलटी ने कंपनी को परिचालन में बनाए रखने और वित्तीय बाध्यताओं को पूरा करने के साथ किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं करने को कहा है।
 
न्यायाधिकरण ने वाडिया समूह की एयरलाइन कंपनी तथा विमान पट्टे पर देने वाली इकाइयों की दलीलों को सुनने के बाद 4 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों ने याचिका का विरोध करते हुए अंतरिम सरंक्षण देने का आग्रह किया था।
 
गो फर्स्ट ने 17 साल से अधिक समय पहले उड़ान भरना शुरू किया था। एयरलाइन ने वित्तीय संकट के बीच 3 मई से उड़ानों का परिचालन रोक दिया। प्रैट एंड व्हिटनी से इंजन आपूर्ति नहीं होने के कारण कंपनी के बेड़े में शामिल आधे से अधिक विमान उड़ान नहीं भर पा रहे थे।
 
एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपए है। उसने स्वैच्छिक रूप से दिवाला कार्यवाही के लिए आवेदन दिया। साथ ही वित्तीय बाध्यताओं पर अंतरिम रोक का आग्रह किया। गो फर्स्ट पहले ही 15 मई तक टिकट की बिक्री निलंबित कर चुकी है।
 
एनसीएलटी का आदेश ऐतिहासिक: विमान सेवा देने वाली कंपनी गो फर्स्ट के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कौशिक खोना ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का एयरलाइन की स्वैछिक दिवाला कार्यवाही याचिका स्वीकार करने का निर्णय 'ऐतिहासिक फैसला है।' उन्होंने कहा कि यह कंपनी को पटरी पर लाने के लिए समय पर आया प्रभावी निर्णय है।
 
एनसीएलटी ने कर्ज में फंसी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम पेशेवर नियुक्त किया। खोना ने पीटीआई-भाषा से फोन पर कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय है। साथ ही व्यावहारिक कारोबार को अव्यवहारिक होने से पहले उसे पटरी पर लाने का उपयुक्त उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि आदेश समय पर आया है और प्रभावी है। नकदी संकट से जूझ रही गो फर्स्ट ने दो मई को ऋणशोधन कार्यवाही शुरू करने को लेकरस्वैच्छिक रूप से याचिका दायर की थी।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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