पहलवान ढाबे से क्या था मुलायम सिंह का कनेक्शन?
कानपुर देहात। उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहलवानी के मैदान से कदम रखने वाले मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं रहे हैं। कानपुर देहात जिले से भी उनका बहुत गहरा नाता था। कानपुर देहात में बहुत से ऐसे किस्से हैं जिन्हें याद कर लोग भावुक हो जाते हैं। ऐसा ही एक किस्सा कानपुर देहात के पहलवान ढाबे से जुड़ा है जहां पर कहा जाता था एक पहलवान दूसरे पहलवान के ढाबे पर रुक कर जिले की समस्याओं पर घंटों चर्चा किया करते थे।
एक पहलवान की दूसरे पहलवान से थी तगड़ी दोस्ती : कानपुर देहात के बारा जोड़ के पास हनीफ पहलवान उर्फ गोगा के होटल होता था जहां पर हनीफ पहलवान बैठकर होटल का संचालन करते थे। बताया जाता है कि हनीफ पहलवान और पहलवानी करते-करते नेता बने मुलायम सिंह के बीच बहुत गहरी दोस्ती थी। इसके चलते लखनऊ से इटावा या इटावा से लखनऊ के बीच आवागमन के दौरान वह बारा जोड़ के हनीफ पहलवान के होटल पर जरुर रुकते थे। यहां से नाश्ता पानी करके ही वह आगे निकलते थे।
अगर सो जाऊं तो ढाबे पर रोक लेना : पहलवान हनीफ के बेटे अच्छन बताते हैं कि नेता जी का पिता जी से इतना लगाव था कि वह लखनऊ से चलने पर ही अपने चालक से कह देते थे कि अगर वह सो भी जाएं तो भी बारा जोड़ पर हनीफ के होटल पर जरुर रुकना। यहां से चाय पानी करने के साथ वह परिवार, गांव और क्षेत्र के लोगों की जानकारी लेकर ही निकलते थे।
पहलवान हनीफ के बेटे ने बताया कि कानपुर देहात जिले से उनका बेहद गहरा नाता था जिसके चलते कई बार बड़े-बड़े पदों पर रहने के बाद भी वह ढाबे पर जरूर रुकते थे और लोगों की समस्या भी सुनते थे।
जनता करती थी इंतजार : कानपुर देहात की जनता ढाबे पर नेताजी के आने का इंतजार करती थी। कई बार तो ऐसा होता था गंभीर समस्याओं से परेशान लोग ढाबे पर आकर सिर्फ एक ही सवाल करते थे नेता जी कब आएंगे? जब नेता जी आते थे तो एक ही पल में हर पीड़ित की समस्या का निदान भी करते थे।
हनीफ ने बताया कि हाईवे बनने के कारण जब ढाबा बंद हो गया तो इसके बाद नेताजी नहीं आ सके। पिताजी के मौत के बाद भी नेता जी फोन पर घरवालों का हाल चाल लेते रहते थे।