• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Mukhtar Ansari had become synonymous with terror after the murder of Krishnanand Rai
Last Updated : गुरुवार, 28 मार्च 2024 (23:38 IST)

कृष्णानंद राय की हत्या के बाद दहशत का पर्याय बन गया था मुख्तार अंसारी

कई राज्यों में दर्ज थे मुकदमे

कृष्णानंद राय की हत्या के बाद दहशत का पर्याय बन गया था मुख्तार अंसारी - Mukhtar Ansari had become synonymous with terror after the murder of Krishnanand Rai
Mafia Mukhtar Ansari dies of heart attack : मऊ से कई बार विधायक और गाजीपुर के मुहम्मदाबाद का रहने वाले मुख्तार अंसारी की गुरुवार की रात हार्ट अटैक से मौत हो गई। पिछले तीन दिनों में तीन बार उसकी हालत बिगड़ी और गुरुवार की रात मेडिकल कॉलेज में उसकी मौत हुई। मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे देश में अपने अपराधों के लिए ही चर्चित हुआ था।
मुख्तार अंसारी पर पहला मुकदमा गाजीपुर सदर कोतवाली में 1988 में दर्ज किया गया। इसमें मुख्तार को हत्या का आरोपी बनाया गया। इसके बाद हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, रंगदारी के कई मुकदमे लदते चले गए। गाजीपुर सदर कोतवाली में तीन बार गैंगस्टर, तीन बार एनएसए समेत कई बड़ी कार्रवाई भी की गई।
 
दिल्ली, पंजाब में भी मुकदमे : मुख्तार पर सबसे अधिक मामले पूर्वांचल के जिलों में दर्ज थे। गाजीपुर, मऊ, सोनभद्र, आजमगढ़, वाराणसी, चंदौली शामिल हैं। इसके अलावा राजधानी लखनऊ में भी कई मामले न्यायालय में चल रहे हैं। मुख्तार पर नई दिल्ली के लोधी कॉलोनी, तिलक मार्ग, केजी मार्ग समेत तीन थानों और पंजाब के मोहाली में भी केस दर्ज हैं। बिहार प्रांत के भी एक थाने में दर्ज मुकदमे में भी मुख्तार का नाम शामिल है।
 
हत्या के बाद दहशत का पर्याय : बहुचर्चित रूंगटा हत्याकांड में अंसारी गैंग पर फिरौती के लिए अपहरण का आरोप लगा था। इस मामले में कोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई जांच करवाई गई थी, लेकिन सबूतों के अभाव में मुख्तार को क्लीन चिट मिल गई थी। 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के बाद मुख्तार अंसारी दहशत का पर्याय बन गया। हालांकि इस हत्याकांड में भी गवाहों के पक्षद्रोही होने से उसे बरी कर दिया गया था।
 
फर्जी लाइसेंस से जुड़ा मुकदमा : मुख्तार के खिलाफ पहला मामला फर्जी शस्त्र लाइसेंस हासिल करने से जुड़ा हुआ है। यह मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में दर्ज हुआ था। इसमें मुख्तार के खिलाफ दो केस दर्ज हुए हैं, पहला आईपीसी की धारा 419 - 420 और 467 यानी धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े का है तो दूसरा आर्म्स एक्ट से जुड़ा हुआ है। मामले में अभी मुख्तार पर अदालत से आरोप तय होना बाकी है। आरोप तय होने के बाद ही ट्रायल शुरू होगा।
 
गैंगस्टर के मुकदमे : मुख्तार के खिलाफ इलाहाबाद की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में गैंगस्टर के चार मुक़दमे चल रहे हैं। इन चारों में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं, अदालत ने चारों मामलों में मुख्तार पर आरोप भी तय कर दिए हैं। चार में से तीन मामले गाज़ीपुर जिले के अलग-अलग थानों के हैं, जबकि चौथा मऊ जिले का है। पहला मामला गाज़ीपुर के कोतवाली थाने का है। इस मामले में आरोप पत्र दाखिल हैं और मामला साक्ष्य यानी ट्रायल के स्तर पर है।
 
हत्या का प्रयास : हत्या के प्रयास से जुड़ा मुकदमा गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में आईपीसी की धारा 307 और 120बी के तहत दर्ज हुआ था। मुक़दमे की प्रक्रिया साल 2010 में ही शुरू हो गई थी। इसमें मुख्य आरोपी सोनू यादव केस से बरी हो चुका है। मुख्तार का मामला अभी ट्रायल की स्टेज पर है और काफी दिनों से सुनवाई ठप पड़ी है।
 
गैंगस्टर के तहत कार्रवाई : मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है। मामले में गाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद कोतवाली में केस दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भी ट्रायल के लेवल पर है। इसका केस नंबर 90/12 है।
 
अजय राय की हत्या से जुड़ा मुकदमा : हत्या का एक और मुकदमा वाराणसी जिले का है। यह मामला कांग्रेस के नेता अजय राय के भाई की हत्या से जुड़ा हुआ है। इस मामले में चेतगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। मुकदमा इस वक़्त गवाही में चल रहा है। मामले से जुडी तमाम फ़ाइल अभी वाराणसी कोर्ट से स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में नहीं आ सकी है। कांग्रेस नेता अजय राय इस मामले में वादी और गवाह दोनों हैं। इस मामले में भी तेजी से सुनवाई हो रही है।
 
हत्या की साजिश का मुकदमा : आजमगढ़ जिले में हुई हत्या में मुख्तार पर आईपीसी की धारा 302 यानी हत्या और 120बी यानी साजिश रचने का आरोप है। मामले की एफआईआर आजमगढ़ के तरवां थाने में दर्ज हुई थी। मुकदमा यूपी सरकार बनाम राजेंद्र पासी व अन्य के नाम से चल रहा है। इस मामले में अभी मुख्तार पर आरोप तय नहीं हुए हैं।
 
मुख्तार के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट का ही एक और मामला है। इस मामले में मऊ जिले के दक्षिणटोला थाने में केस दर्ज है। मुक़दमे का ट्रायल साल 2012 में शुरू हुआ था। इस मामले में अदालत से मुख्तार पर आरोप तय हो चुके हैं। इस मुक़दमे का नंबर 2/12 है।
 
फायरिंग में मजदूर की मौत : आजमगढ़ के तरवां क्षेत्र के ऐराकला गांव में सड़क के एक ठेके के विवाद में ठेकेदार पर फायरिंग की गई थी। जिसमें एक मजदूर की मौत हो गई थी। इसमें मुख्तार समेत दस आरोपितों पर गैंगेस्टर में मुकदमा दर्ज है। इस मामले में माफिया मुख्तार की पेशी अब तक नहीं हो सकी।
 
गाजीपुर मुकदमे में वादी : इलाहाबाद की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में मुख्तार का एक और मामला विचाराधीन है। इसमें मुख्तार आरोपी नहीं बल्कि वादी है। यह मामला 15 जुलाई साल 2001 का है। मुख्तार अंसारी ने ग़ाज़ीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में माफिया बृजेश सिंह और अन्य के खिलाफ जानलेवा हमला करने समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया था।
 
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट वाराणसी जेल में बंद बृजेश सिंह की जमानत की अर्जी को खारिज कर चुका है। जमानत की अर्जी पिछले साल नवम्बर महीने में खारिज की गई थी। इस मामले का ट्रायल रुका हुआ है। गवाही शुरू कराने की मांग को लेकर मुख्तार अंसारी की तरफ से स्पेशल कोर्ट में पिछले महीने ही एक अर्जी दाखिल की गई थी। (एजेंसियां)
Edited By : Chetan Gour
ये भी पढ़ें
यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक से मौत