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Last Modified: नई दिल्ली/ वाशिंगटन , मंगलवार, 6 फ़रवरी 2024 (08:53 IST)

MQ-9B ड्रोन से बढ़ेगी भारत की समुद्री सुरक्षा, जानिए क्या है इसमें खास

mq 9b drone
MQ-9B drone news : भारत अमेरिका से MQ-9B ड्रोन खरीदने जा रहा है। माना जा रहा है कि इन ड्रोनों को समुद्री सीमा पर तैनात किया जाएगा और इससे भारत की समुद्री सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
 
अमेरिका का कहना है कि ‘जनरल एटॉमिक्स एमक्यू9-बी’ सशस्त्र ड्रोन सौदे से भारत की समुद्री सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमता (MDA) में बढ़ोतरी होगी। समुद्री क्षेत्र में जागरूकता क्षमता का अर्थ है कि समुद्री क्षेत्र से जुड़ी ऐसी हर बात को लेकर जागरूक होना जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण को प्रभावित कर सकती है।
 
अमेरिका ने 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री करने को पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी थी। इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिये वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने की भारत की क्षमता बढ़ेगी। इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी।
 
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारा मानना है कि इस बिक्री से भारत की समुद्री सुरक्षा और समुद्री क्षेत्र जागरूकता क्षमता बढ़ेगी। पटेल ने कहा कि यह (सौदा) भारत को इन विमानों का पूर्ण स्वामित्व प्रदान करता है और इस क्षेत्र में हम अपने भारतीय भागीदारों के साथ सहयोग को गहरा करना जारी रखेंगे।
 
mq 9b drone:
जानिए क्या है MQ-9B ड्रोन में खास
उम्मीद जताई जा रही है कि ये ड्रोन भारत को अपनी सीमाओं पर निगरानी क्षमता बढ़ाने और संभावित खतरों की अधिक प्रभावी निगरानी करने में सक्षम बनाएगा। हिन्द-महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे पर नजर रखने के लिए भी इन ड्रोन का इस्तेमाल होना तय है।
 
इस तरह के सशस्त्र ड्रोन फाइटर पायलटों द्वारा उड़ाए जाने वाले लड़ाकू विमानों की तरह दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलें और गोला-बारूद दागने की क्षमता रखते हैं। ये ड्रोन निगरानी और टोह लेने में सक्षम हैं और उनका सशस्त्र संस्करण हेलफायर मिसाइलों से लैस है।
 
ये ड्रोन लंबी दूरी तक उड़ान भर खुफिया जानकारी जुटाने और निगरानी रखने में माहिर है। इनका इस्तेमाल मानवीय सहायता, आपदा राहत, खोज और बचाव, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में किया जा सकता है।
 
साथ ही इन ड्रोन को नशीले पदार्थों की तस्करी और समुद्री डकैती जैसी स्थितियों से निपटने के लिए भी तैनात किया जा सकता है। ये ड्रोन हर तरह के मौसम में करीब 30 से 40 घंटे तक की उड़ान एक बार में भर सकते हैं। ये ड्रोन 40000 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं।
 
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