दारू के बाद दवा ने बढ़ाई केजरीवाल की मुश्किल, गृह मंत्रालय ने मामले में कराई CBI की एंट्री
- घटिया दवा मामले की जांच करेगी CBI
-
LG की सिफारिश पर गृह मंत्रालय का फैसला
-
भाजपा और आप ने किया फैसले का स्वागत
Mohalla clinic row: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में घटिया दवाओं की आपूर्ति के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराने का आदेश दिया है। दिसंबर में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के.सक्सेना ने गृह मंत्रालय से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। आबकारी मामले में ईडी के कसते शिकंजे के बीच दवा मामले में सीबीआई की एंट्री से दिल्ली सीएम केजरीवाल की मुश्किल और बढ़ सकती है। बहरहाल भाजपा और आप दोनों ने ही मामले की सीबीआई जांच का स्वागत किया है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीबीआई जांच का आदेश जारी किया।
इस बीच दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने राज्य के सरकारी अस्पतालों में घटिया दवाओं की कथित आपूर्ति के मामले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले का शुक्रवार को स्वागत किया और स्वास्थ्य विभाग के सचिव को तुरंत निलंबित करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि पिछले साल मार्च में पदभार संभालने के तुरंत बाद मैंने दवाओं का ऑडिट करने का निर्देश जारी किया था लेकिन स्वास्थ्य सचिव ने निर्देशों का पालन नहीं किया। इस मामले में मैं सीबीआई जांच का स्वागत करता हूं लेकिन क्यों केंद्र अधिकारियों को बचा रहा है? उन्हें (स्वास्थ्य विभाग के सचिव) तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में जो जनता को नकली दवाइयां मिल रही थी, उसकी CBI जांच की अनुमति मिल गई है, जिसका हम स्वागत करते हैं। अब जांच से सब सच सामने आ जाएगा कि कितने करोड रुपए का घोटाला हुआ और किस-किस को कमीशन मिला। हम भी देखते हैं कि अब अरविंद केजरीवाल जांच से कितनी दूर भागेंगे।
LG सक्सेना ने गुणवत्ता मानक परीक्षणों में विफल रहने वाली दवाओं की आपूर्ति के मामले में दिसंबर में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जो लोगों के जीवन को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकती थीं।
दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने जांच का अनुरोध करते हुए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था। पत्र के मुताबिक, 'इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि क्या जो दवाएं केंद्रीय खरीद एजेंसी (सीपीए) ने खरीदी हैं, वही दवाएं 'मोहल्ला क्लीनिक' के जरिए मरीजों को बांटी भी जा रही हैं या नहीं।'
पत्र में कहा गया कि घटिया दवाओं की आपूर्ति के लिए कोई भी कार्रवाई सीपीए तक सीमित नहीं होनी चाहिए और इन दवाओं की आपूर्ति करने वाली सभी कड़ियों की जांच की आवश्यकता है। साथ ही उन आपूर्तिकर्ताओं की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए, जिन्होंने दवा बनाने वाली कंपनियों से दवाएं खरीदीं और मरीज को प्रदान की।