मोदी बोले, कड़े फैसलों के बाद भी अर्थव्यवस्था सही दिशा में...
घोघा/दहेज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दावा किया कि नोटबंदी और जीएसटी समेत आर्थिक सुधारों तथा कड़े फैसलों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में बढ़ रही है।
मोदी अपने गृह प्रदेश गुजरात के भावनगर जिले के घोघा में खंभात की खाडी के समुद्र मार्ग वाले घोघा-दहेज रो रो फेरी सेवा की शुरुआत के बाद इसी के जरिये दिव्यांग बालकों के साथ एक घंटे से अधिक की समुद्री यात्रा कर भरूच जिले के दहेज पहुंचे।
यहां पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि तमाम सुधारों और कड़े फैसलों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था सही दिशा में बढ़ रही है। कोयले, बिजली आदि का उत्पाद बढ़ा है। विदेशी निवेश बढा है और विदेशी मुद्रा भंडार भी 30 हजार करोड डॉलर से बढ कर 40 हजार करोड डॉलर हो गया है। विदेशी विशेषज्ञ तक मान रहे हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था की बुनियादी चीजे मजबूत हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार देश में नई कार्य संस्कृति विकसित कर रही है जो जवाबदेह और पारदर्शी हो। इसी वजह से योजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है। दो गुनी गति से सडकें और रेलमार्ग बन रहे हैं। इसकी चलते पासपोर्ट, गैस सिलेंडर आदि आसानी से मिल रहे हैं।
तकनीक की मदद से गरीबों और मध्यम वर्ग को उनका हक दिलाया जा रहा है। नोटबंदी से तिजोरी से निकल कर धन बैंक तक पहुंचाया है। इसी तरह जीएसटी से एक नए व्यापार संस्कृति शुरू हुई है। इसके बाद अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से 27 लाख नए लोग जुटे हैं।
उन्होंने देश में विकास के लिए बंदरगाह के विकास का पी फॉर पी यानी पोर्ट फार प्रास्पैरिटी का नारा देते हुए कहा कि सैकडो साल से नौवहन में श्रेष्ठता रखने वाला भारत इस मामले में पिछड गया था। उन्होंने कहा कि अकेले बंदरगाह विकास की सागरमाला परियोजना के जरिये एक करोड़ रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 2035 तक की जरूरतों को ध्यान में रख इसकी 400 परियोजनाओं में आठ लाख करोड़ का निवेश होना है।
मोदी ने कहा कि आजादी के इतने साल बाद भी देश में केवल पांच राष्ट्रीय जलमार्ग है अब भी 55 प्रतिशत परिवहन सडक, 35 प्रतिशत रेलवे और मात्र पांच से छह प्रतिशत जल मार्ग के जरिये होता है। अब सरकार 106 नए जलमार्ग पर काम कर रही है। इनसे देश में माल ढुलाई का बोझ 18 प्रतिशत की तुलना में घट कर करीब आधा हो सकेगा। जल मार्ग रेलवे और सडक परिवहन की तुलना में सस्ता है। देश में 7500 किमी लंबी समुद्री सीमा और लंबी नदियों के जाल का पिछली सरकारों ने क्यों इस्तेमाल नहीं किया यह समझ से परे है। (वार्ता)