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Last Modified: शुक्रवार, 1 सितम्बर 2017 (18:35 IST)

नोटबंदी : मनमोहन का आकलन सच साबित हो रहा है?

नोटबंदी : मनमोहन का आकलन सच साबित हो रहा है? - Manmohan Singh, Notbandi GDP
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़ों से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नोटबंदी से जीडीपी में 2 प्रतिशत तक गिरावट होने का आकलन सही साबित होता नजर आ रहा है। 
 
सरकार की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2017 की तिमाही में जीडीपी की दर पिछले साल की इसी अवधि की 7.9 प्रतिशत की तुलना में 2 प्रतिशत से अधिक गिरकर 5.7 प्रतिशत रह गई, जो पिछले 3 वर्ष में सबसे न्यूनतम स्तर है। वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत रही थी। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को 500 और 1,000 के नोटों के प्रचलन को बंद करने की घोषणा की थी। इसके बाद 500 रुपए का नया नोट लाया गया और 2 हजार रुपए का नोट पहली बार प्रचलन में आया। 
 
नोटबंदी के बाद सिंह ने राज्यसभा में भाषण में अपने आकलन के अनुसार आशंका व्यक्त की थी कि इस फैसले से जीडीपी पर 2 प्रतिशत तक असर पड़ सकता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के गुरुवार को जारी आंकड़ों को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री का आकलन सटीक साबित हो रहा है।
 
नोटबंदी के दौरान बैंकिंग तंत्र में जमा किए गए 500 और 1,000 रुपए के नोट के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों और इसके एक दिन बाद ही जीडीपी के आंकड़ों से विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है। रिजर्व बैंक ने 2016-।7 की रिपोर्ट जारी करते हुए यह माना कि नोटबंदी से पहले 500 और 1,000 रुपए के जितने नोट प्रचलन में थे, उसके लगभग 99 प्रतिशत वापस आ गए हैं। 
 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने सरकार को घेरते हुए कहा है कि क्या नोटबंदी काले धन को सफेद करने के लिए लाई गई थी। नोटबंदी के दौरान भी
विपक्ष ने सरकार को इससे रोजगार पर पड़ने वाले असर को लेकर घेरा था।
 
जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने नोटबंदी से अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव की आशंका जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी को जिस तरह से अमल में लाया गया है, इससे कृषि के विकास पर असर पड़ेगा और छोटे उद्योग को चोट लगेगी। 
 
नोटबंदी के फैसले पर मोदी के लोगों से 50 दिन का इंतजार करने पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था 50 दिन का समय अल्पावधि होती है लेकिन, जो गरीब और समाज के पिछड़े वर्ग से हैं, वे 50 दिन का संकट कैसे झेलेंगे। 
 
नोटबंदी के फैसले से देश की जनसंख्या के 60 से 65 प्रतिशत और इससे अधिक लोगों को दिक्कतों से जूझना पड़ेगा। उन्होंने नोटबंदी के दौरान हर दिन नए फैसले लिए जाने पर भी सरकार को घेरा था और कहा था कि किसी भी देश में शायद ऐसा नहीं होगा कि लोगों का बैंक में पैसा जमा हो और उन्हें निकालने की अनुमति नहीं हो। सरकार नोटबंदी के फैसले को सही ठहरा रही है। 
 
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रिजर्व बैंक और जीडीपी के आंकड़ों के बाद कहा कि सरकार ने जिन उद्देश्यों से नोटबंदी का फैसला लिया था, वे सफल रहा है। (वार्ता)
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