शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Lal Bahadur Shastri, the tashkand file, murder,
Written By

जहर की साजिश, हार्ट अटैक या ‘हत्‍या’, आखि‍र कितनी थ्‍योरी हैं लाल बहादुर शास्‍त्री की ‘मौत’ की !

जहर की साजिश, हार्ट अटैक या ‘हत्‍या’, आखि‍र कितनी थ्‍योरी हैं लाल बहादुर शास्‍त्री की ‘मौत’ की ! - Lal Bahadur Shastri, the tashkand file, murder,
भारत और चीन के युद्ध के महज 3 साल बाद 1956 में भारत और पाकिस्‍तान के बीच वॉर शुरू हो गया। लेकिन सोवियत संघ की मध्‍यस्‍थता की वजह से दोनों देश एक दूसरे से जीते हुए इलाके वापस एक दूसरे को देने के लिए तैयार हो गए।

इसके लिए एक समझौता तय किया गया। 10 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्‍त्री और पाकिस्‍तानी राष्‍ट्रपति अयूब खान ने ताशकंद में इस समझौते पर हस्‍ताक्षर किए और भारत-पाकिस्‍तान के बीच वॉर खत्‍म हो गई।

लेकिन इस समझौते के महज 12 घंटों के बाद एक खबर आती है कि शास्‍त्री जी का ताशकंद में निधन हो गया। वजह बताई गई हार्ट अटैक।

लेकिन जिस अवस्‍था में शास्‍त्री जी का शव भारत पहुंचा, उसके बाद उनकी मौत की कई थ्‍योरी सामने आईं।
स्‍वाभाविक नि‍धन, हार्ट अटैक, जहर की साजिश या हत्‍या। इसके बाद यह हमेशा के लिए रहस्‍य बन गया कि आखि‍र शास्‍त्री जी की मौत कैसे हुई थी।

क्‍या है शास्‍त्री जी की मौत की थ्‍योरी?

कमरे में नहीं कोई सुविधा!
ताशकंद में जिस कमरे में शास्‍त्री जी की मौत हुई, वहां कमरे में न तो फोन था न ही कोई बेल, न कोई शख्स मदद के लिए। कोई चिकित्सा सुविधा नहीं थी। यह बात उनके बेटे अनिल शास्‍त्री ने बताई थी।

डायरी कहां हुई गायब?
उनके बेटे अनिल शास्‍त्री ने कहा था, शास्त्री जी हमेशा अपने साथ एक डायरी रखते थे, लेकिन ताशकंद से उनकी डायरी वापस नहीं आई। जिस वजह से उनकी मौत को लेकर संदेह होता है। अनिल शास्त्री के मुताबिक पिता के शरीर पर नीले निशान साफ बताते थे कि उनकी मौत अप्राकृतिक थी। इसके साथ ही उनका कमरा शहर से करीब 20 किमी की दूरी पर रखा गया, ऐसा क्‍यों।

पोस्‍टमार्टम क्‍यों नहीं?
जब भी किसी व्‍यक्‍ति की मौत संदिग्‍ध परिस्‍थति में होती है तो सबसे पहले उसका पोस्‍टमार्टम करवाया जाता है, लेकिन प्रधानमंत्री होने के बावजूद शास्‍त्री जी का पोस्‍टमार्टम नहीं करवाया गया। पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना, साजिश की ओर ही इशारा करता है।

शरीर नीला और कई नि‍शान!
उनका पार्थिव शरीर जब देश लाया गया तो काफी लोगों ने देखा था कि चेहरा, सीना और पीठ से लेकर कई अंगों पर नीले और उजले निशान थे। उनकी पत्‍नी ललिता देवी ने यह नोटि‍स किया कि उनके पैरों में कट के निशान थे और देह नीली हो चुकी थी।

क्‍या खाने में था जहर?
उस वक्‍त के डॉक्टर आरएन चुग ने कहा था कि शास्त्री जी का स्वास्थ्य एकदम ठीक था और उन्हें कभी दिल से जुड़ी बीमारी नहीं थी। हार्ट अटैक से उनकी मौत काफी आश्चर्यजनक है। इसलिए ऐसी भी अपुष्ट खबरें आई हैं जिनमें कहा गया कि शास्त्री जी के शरीर पर जो धब्बे थे वह जहर देने की वजह से थे।

गवाही से पहले ही गवाहों की मौत!
लाल बहादुर शास्त्री के निधन के दो गवाह थे, जिन्हें 1977 में संसदीय समिति के सामने गवाही देनी थी। पहले गवाह उनके डॉक्टर आरएन चुग थे। मगर संसदीय समिति के सामने गवाही देने जा रहे आरएन चुग को रास्ते में ही ट्रक ने टक्कर मार दी और उनकी मौत हो गई। दूसरे गवाह शास्त्री जी के नौकर रामनाथ को भी गाड़ी ने टक्कर मार दी और उसके बाद रामनाथ की याददाश्त चली गई।

शास्‍त्रीजी के साथ के बेहद कम बचे
अनिल शास्त्री ने बताया था कि इस मामले में आज की तारीख में शास्त्रीजी के साथ के कई लोग जीवित नहीं है। उनके चिकित्सक रहे डॉ. चुग के पूरे परिवार की दिल्ली के रिंग रोड में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। ऐसा कैसे हो सकता है कि शास्‍त्री जी के दो गवाहों की दुर्घटना में मौत हो जाए। यह संयोग है या साजिश। उनके साथ के मास्टर अर्जन सिंह और शास्त्रीजी के संयुक्त सचिव रहे सी.पी. श्रीवास्तव अभी जीवित हैं, जो अब विदेश में रहते हैं।

सरकार क्‍यों नहीं बताती सच?
मीडि‍या रिपोर्ट के मुताबि‍क 70 के दशक में जनता पार्टी की सरकार ने आश्वासन दिया था कि सच सामने लाया जाएगा, लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह ने उस समय कहा था उनकी मौत के ऐसे कोई प्रमाण नहीं है। इस मामले में वहां उनकी सेवा में लगाए गए एक बावर्ची को हिरासत में लिया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया।

कुलदीप नैय्यर की कि‍ताब में है सच?
वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर भी शास्‍त्री जी के साथ ताशकंद जाने वालों में शामिल थे। कुलदीप नैय्यर को भी शास्त्रीजी के निधन की परिस्थितियों पर गंभीर संदेह है और इसका उल्लेख उन्होंने अपनी किताब में भी किया है।