आम बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को श्री अन्न का ग्लोबल हब बनने का सपने का विशेष तौर पर जिक्र किया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में 'श्री अन्न' (मोटा अनाज) के उत्पादन को बढ़ाया जाएगा। वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि श्रीअन्न को भोजन का अंग बनाने के लिए अब बड़े स्तर पर काम किया जाएगा। बजट मेंं हैदराबाद में भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का भी एलान किया गया। दरअसल मोदी सरकार श्री अन्न (मिलेट्स) को लोकप्रिय बनाने की मुहिम में लगी हुई है और देश के साथ विदेशों में भी मोटे अनाज को 'श्री अन्न' के नाम से एक नई पहचान दिलाने की कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को श्री अन्न का ग्लोबल हब बनाने के सपने को मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले डिंडोरी की रहने वाली बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई सहीं मायनों में साकार कर रही है। लहरी बाई ने बिना किसी सरकारी मदद के अपने घर में बेवर बीज बैंक तैयार कर वो मुकाम हासिल किया है कि अब उन्हें रोल मॉडल के तौर पर देखा जा रहा है। लहरी बाई को उनके किए काम के लिए राष्ट्रीय स्तर के साथ अर्तराष्ट्रीय स्तर पर भी नई पहचान मिल रही है। लहरी बाई को अंतरराष्ट्रीय लघु धन्य वर्ष-2023 के पोस्टर में जगह मिली है।
लहरी बाई की जीवन की कहानी-मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडोरी जिले के बजाग तहसील के गांव सिलपिढी की रहने वाली 27 वर्षीय बैगा महिला लहरी बाई अपने काम के बारे में बताती है कि उन्हें बचपन से ही उनके पूर्वजों से बेवर खेती और उसके बीज को सहेजने की जानकारी मिली है। बेवर बीज की खेती से उत्पन्न होने वाले पौष्टिक अनाज के खाने से शरीर स्वस्थ रहता है। अपने पूर्वजों के दिखाई गई राह पर चलते हुए लहरी बाई ने अपने खेत मे धान और कोदो की फसल के साथ-साथ सामुदायिक अधिकार वाले जंगल की जमीन में पारंपरिक खेती में इस्तेमाल करने वाले बीजों को सहेजने का काम किया है और आज उनके पास श्रीअन्न का एक बड़ा भंडारण मौजूद है।
3 कमरों के कच्चे मकान में बीज बैंक- बजाग तहसील के सिलपिढी गांव में मिट्टी और खपड़े से बने तीन कमरों के छोटे से घर में रहने वाली लहरी बाई ने एक कमरे में सामुदायिक बेवर बीज बैंक बना कर रखा है, जिसमें करीब 28 प्रकार के बीच उपलब्ध है। बीजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए लहरी बाई ने बड़ी बड़ी मिट्टी की कोठी (ढेहरी) बनाई है। लहरी बाई अपने काम के प्रति कितना समर्पित है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह परिवार के साथ अपने घर के सिर्फ एक कमरे में रहती है।
बीज बैंक में 28 से अधिक बीज उपलब्ध- घर में बनाए गए लहरी बाई के बीज बैंक में 28 से अधिक बीज पूरी तरह सुरक्षित है। लहरी बाई के बीज बैंक में कांग की चार प्रजाति भुरसा कांग,सफेद कलकी कांग,लाल कलकी कांग,करिया कलकी कांग। सलहार की तीन प्रजाति बैगा सलहार,काटा सलहार ,ऐंठी सलहार। कोदो के प्रजाति बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो, छोटी कोदो। मढिया की प्रजाति चावर मढिया, लाल मढिया,गोद पारी मढिया, मरामुठ मढिया। साभा की प्रजाति भालू सांभा, कुशवा सांभा, छिदरी सांभा। कुटकी की प्रजाति बड़े डोंगर कुटकी, सफेद डोंगर कुटकी,लाल डोंगर कुटकी, चार कुटकी, बिरनी कुटकी, सिताही कुटकी, नान बाई कुटकी, नागदावन कुटकी, छोटाहि कुटकी, भदेली कुटकी, सिकिया बीज और दलहनी फसल की बिदरी रवास, झुंझुरु, सुतरु, हिरवा, बैगा राहर के बीज लहरी बाई के पास मौजूद है।
श्रीअन्न पर बैगा ग्रामीणों को कर रही जागरूक-बैगा जनजाति से आने वाली लहरी बाई जहां खुद बीज को सुरक्षित रखती है वहीं बैगा जनजाति के लोगों में पारंपरिक खेती करने की एक अलख भी जगा रही है। लहरी बाई ने पारंपरिक खेती को बचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब तक 350 से ज्यादा किसानों को बीज बैंक के जरिए बीज वितरित किया है। लहरी बाई ने डिंडोरी जिले के तीन विकासखंडों समनापुर,बजाग और करंजिया के ग्रामों में बेवर बीज वितरित किये है,इनमें किवाड़, चपवार, गौरा, ढाबा, जीलंग, अजगर, लमोठा, धुरकुटा का जामुन टोला, कांदावानी, तातर, सिलपीढ़ी, डबरा, ठाड़पथरा, पांडपुर, लिमहा, दोमोहनी, केन्द्रा,लदरा, पीपरपानी, बर्थना, कांदाटोला, सैला ग्राम शामिल है जिन्हें बीज दिया है। लहरी खुद गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को बीज बांटती है और उन्हें पारंपरिक खेती के लिए प्रोत्साहित करती है। लहरी बाई के काम के लिए डिंडोरी जिले के कलेक्टर विकास मिश्रा उनका सम्मान कर चुके है।
मोदी के विजन को पूरा करेगा मध्यप्रदेश-भारत को श्रीअन्न का ग्लोबल विलेज बनाने के सपने को मध्यप्रदेश भी पूरा करेगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बजट में श्रीअन्न (मोटे अनाज) के लिए बड़ा एलान किया गया है। भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। मध्यप्रदेश में भी मोटे अनाज ज्वार, बाजार, रागी, कोदी, कोदो कुकुटी बडी मात्रा में होते है। भारत को श्रीअन्न का ग्लोबल हब बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कटिबद्ता को मध्यप्रदेश में पूरा करेगा।