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Last Modified: बुधवार, 18 सितम्बर 2024 (23:05 IST)

कोविंद समिति ने 7 देशों की चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया, फिर तैयार हुई रिपोर्ट

कोविंद समिति ने 7 देशों की चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया, फिर तैयार हुई रिपोर्ट - Kovind committee studied election processes of 7 countries
Ramnath Kovind Committee Report: ‘एक देश, एक चुनाव’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति ने भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश करने से पहले दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और बेल्जियम सहित सात देशों में इसी तरह की चुनाव प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर की गई समिति की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। ALSO READ: One Nation One Election : एक देश-एक चुनाव से कितना होगा फायदा, विशेषज्ञ ने जताया यह अनुमान...
 
जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलीपीन में भी एक साथ चुनाव आयोजित किए जाते हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति ने मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें पहले कदम के तौर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने और इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। ALSO READ: एक देश, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की शीर्ष 10 सिफारिशें
 
तुलनात्मक विश्लेषण : रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर विचार करते समय अन्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया था। इसका उद्देश्य चुनावों में निष्पक्षता एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय चलन का अध्ययन करना और उन्हें अपनाना था। ALSO READ: वन नेशन वन इलेक्शन पर क्यों भड़का विपक्ष? जानिए किसने क्या कहा
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण अफ्रीका में मतदाता नेशनल असेंबली और प्रांतीय विधायिका दोनों के लिए एक साथ मतदान करते हैं। हालांकि, निकाय चुनाव 5 साल के चक्र में प्रांतीय चुनावों से अलग आयोजित किए जाते हैं। 29 मई को दक्षिण अफ्रीका में नई नेशनल असेंबली के साथ-साथ प्रत्येक प्रांत के लिए प्रांतीय विधानमंडल चुनने के लिए आम चुनाव होंगे। ALSO READ: One Nation One Election पर बोले JP Nadda, सिफारिशों को स्वीकार किया जाना ऐतिहासिक
 
स्वीडन में कैसे होता है चुनाव : समिति ने कहा कि स्वीडन आनुपातिक निर्वाचन प्रणाली का पालन करता है, जिसका अर्थ है कि राजनीतिक दलों को उनके वोटों के हिस्से के आधार पर निर्वाचित सदन में सीटें आवंटित की जाती हैं। इसमें कहा गया है कि उनके पास एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें संसद (रिक्सडाग), काउंटी परिषदों और नगर परिषदों के चुनाव एक ही समय में होते हैं। ये चुनाव हर 4 साल में सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं, जबकि निकाय चुनाव हर 5 साल में एक बार सितंबर के दूसरे रविवार को होते हैं।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि उच्च स्तरीय समिति के सदस्य सुभाष कश्यप ने जापान में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का भी उल्लेख किया है। जापान में प्रधानमंत्री की नियुक्ति सबसे पहले राष्ट्रीय संसद (डायट) द्वारा की जाती है और उसके बाद सम्राट द्वारा उसे स्वीकार किया जाता है। उन्होंने जर्मनी या जापान की व्यवस्था जैसा मॉडल अपनाने की वकालत की।
 
इंडोनेशिया में भी एक साथ चुनाव : रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से इंडोनेशिया एक साथ चुनाव करवा रहा है, एक ऐसी प्रणाली जिसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विधायी निकायों के सदस्य एक ही दिन चुने जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि मतदाता गुप्त मतदान करते हैं और दोहराव को रोकने के लिए उनकी उंगलियों पर नहीं मिटने वाली स्याही लगाई जाती है। राष्ट्रीय संसद के लिए अर्हता प्राप्त करने के वास्ते राजनीतिक दलों को 4 प्रतिशत वोटों की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीतने के लिए कुल मतों के 50 प्रतिशत से अधिक और देश के आधे से अधिक प्रांतों में कम से कम 20 प्रतिशत वोटों की आवश्यकता होती है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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