शनि की महादशा में भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं केजरीवाल, जानिए कब से शुरू होगी महादशा
प्रख्यात ज्योतिषी डॉ. अविनाश शाह ने आम आदमी पार्टी के संस्थापक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुंडली देखकर एक बड़ा खुलासा किया है। डॉ. शाह ने केजरीवाल की कुंडली का गहन अध्ययन कर बताया कि उनकी कुंडली में शनि गोचर में 10वें भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि 29 अप्रैल 2022 को प्रवेश कर रहे हैं, जो कि इनकी कुंडली में प्रबल राजयोग बना रहा है। इस शनि के गोचर के कारण केजरीवाल भारतीय राजनीति में अगले तीन सालों में आम आदमी पार्टी को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में नया मुकाम हासिल करेंगे।
डॉ. अविनाश शाह का कहना है कि अरविंद केजरीवाल की कुंडली में लग्नेश शुक्र, लाभेश गुरु तथा पंचमेश बुध चतुर्थ केन्द्र स्थान में युति करके प्रबल राजयोग बना रहे है। इसी राजयोग की वजह से केजरीवाल को भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने का अवसर प्राप्त हुआ है। क्योंकि इन तीनों ग्रहों की 10वें घर पर पूर्ण दृष्टि है। इसके साथ ही मंगल भी 10वें घर में पूर्ण दृष्टि से देख रहा है।
डॉ. शाह ने बताया कि केजरीवाल की कुंडली में मार्च 2026 के बाद शनि की महादशा शुरू होगी जो कि 19 साल रहेगी। यही शनि की महादशा केजरीवाल को विश्व विख्यात करेगी। इसके साथ ही केजरीवाल के नेतृत्व में आप पार्टी भारतीय राजनीति में अपना अलग मुकाम हासिल करेगी।
अरविंद केजरीवाल की कुंडली में तीसरे भाव में सूर्य तथा मंगल कर्क राशि में बैठे हैं, जिसके चलते उनका पराक्रम भारतीय राजनीति में लगातार बढ़ता रहेगा। इसके साथ ही केजरीवाल की कुंडली में चतुर्थ भाव में तीन ग्रहों की युति जनता में इनकी लोकप्रियता तथा चमत्कारिक नेतृत्व को बढ़ाती है।
यदि हम केजरीवाल की कुंडली को ठीक से देखें तो पाएंगे कि इनकी कुंडली में शनि भाग्येश और कर्मेश होकर अन्य 6 ग्रहों चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र से पूर्व संबंध स्थापित किए हुए है। इसमें शनि चंद्र का युति संबंध, मंगल सूर्य से केंद्रीय योग तथा गुरु से त्रिकोण संबंध और गुरु के साथ बुध व शुक्र के होने से लग्नेश, धनेश, कर्मेश व भाग्येश का संबंध स्थापित होने से मणिकांचन योग बन रहा है। इस योग के कारण ये दिल्ली के मुख्यमंत्री तो बन ही गए हैं।
इसके साथ ही मार्च 2026 से आरंभ होकर आगामी 19 सालों तक चलने वाली शनि की महादशा में विशेषकर 2029 के बाद से लेकर 2045 तक केजरीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र की राजनीति में विपक्ष का नेता अथवा देश का प्रधानमंत्री बना दे तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।