• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Kashmiris are eating watermelon worth Rs 5 crore every day in Ramadan
Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Modified: शनिवार, 16 अप्रैल 2022 (17:06 IST)

रमजान में प्रतिदिन 5 करोड़ रुपए के तरबूज खा रहे हैं कश्मीरी

रमजान में प्रतिदिन 5 करोड़ रुपए के तरबूज खा रहे हैं कश्मीरी - Kashmiris are eating watermelon worth Rs 5 crore every day in Ramadan
जम्मू। सच में यह चौंकाने वाली बात है कि कश्मीर ने एक और रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। अभी तक वह रिकॉर्ड तोड़ मीट, दवाइयां खाने का रिकॉर्ड अपने नाम किए हुए थे कि अब उसने प्रतिदिन तरबूज खाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है।
 
यह पूरी तरह से सच है की कश्मीरी रमजान के दिनों में प्रतिदिन 100 से अधिक ट्रक तरबूज खा रहे हैं, जिसकी कीमत 5 करोड़ के करीब है। कश्मीर की फ्रूट एंड वेजिटेबल एसोसिएशन के प्रधान बशीर अहमद बशीर पर विश्वास करें तो हफ्ताभर पहले तरबूज की मांग प्रतिदिन 50 से 60 ट्रक की थी जो बढ़कर अब 100 से अधिक ट्रकों की हो गई है।
 
एक ट्रक में 15 से 20 टन तरबूज आ रहे हैं। हालांकि सरकारी तौर पर तरबूज की कमीत 30 रुपए प्रति किलो तय की गई है पर यह कश्मीर में 60 से 70 रुपए प्रति किलो बिक रहा है। खाद्य आपूर्ति विभाग के डायरेक्टर अब्दुल सलाम मीर कहते थे कि शिकायत आने पर जुर्माना किया जाता है।
 
कश्मीर में सिर्फ तरबूज की खपत ही नहीं बल्कि मीट की खपत भी एक रिकॉर्ड बना चुकी है। मीट की खपत का रिकॉर्ड आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है। आप सोच भी नहीं सकते कि कश्मीरी कितना मीट खा जाते हैं। प्रतिवर्ष इसकी खपत 51 हजार टन है। इसमें मछली को शामिल नही किया गया है।
 
कश्मीर में प्रतिवर्ष 2.2 मिलियन भेड़ बकरियों को कुर्बान किया जाता है। जबकि 1.2 बिलियन मांस प्रदेश के बाहर से मंगवाया जाता है। पिछली सर्दियों में कश्मीर में मीट की किल्लत का ही परिणाम था कि सरकारी तौर पर तयशुदा कीमतों से अधिक पर यह बिकता रहा और कार्रवाई होने पर मीट बेचने वाले दुकानदारों ने एक माह तक कारोबर बंद कर कश्मीरियों के लिए आफत ला दी थी।
 
ऐसे ही अन्य कई रिकॉर्ड और भी हैं जिनमें दवाइयों की खपत का भी है। एक अनुमान के अनुसार, कश्मीर में 1200 से 1500 करोड़ की दवाइयों की खपत प्रतिवर्ष होती है। इनमें सबसे अधिक डिप्रेशन की दवाइयों की मांग है। दरअसल 32 सालों के आतंकवाद के दौर के कारण बड़ी संख्या में लोग अवसाद का शिकार हो रहे हैं और बिना डॉक्टरी सलाह के वे रोटी कीत रह अवसाद दूर करने वाली दवाईयों का सेवन कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें
महंगाई की चौतरफा मार, 16 दिनों में ईंधन की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि