पिछले 10 वर्षों में जॉबलेस ग्रोथ, कांग्रेस का मोदी सरकार पर निशाना
Congress on 100 days of Narendra Modi government: कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर मंगलवार को सरकार पर बेरोजगारी का संकट पैदा करने का आरोप लगाया और दावा किया कि पिछले 10 वर्षों में रोज़गार को ख़त्म करने वाला विकास (जॉबलेस ग्रोथ) हुआ है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार बेरोजगारी की समस्या को न सिर्फ दूर करने में विफल रहे, बल्कि इस चुनौती को स्वीकार तक नहीं कर रहे हैं। रमेश ने एक बयान में कहा कि सोमवार को इस अस्थिर और संकटों से घिरी सरकार के 100 दिन पूरे हो गए। कई यू-टर्न और कई घोटालों के बीच यह एक बार फिर भारत में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी संकट को लेकर कुछ भी करने में विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगारी का संकट सरकार ने खुद पैदा किया है।
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बेरोजगारी ने लिया भयावह रूप : उनका कहना था कि तुगलकी नोटबंदी के कारण रोजगार सृजन करने वाले एमएसएमई के खत्म होने, जल्दबाज़ी में लागू जीएसटी, बिना तैयारी के लगाए गए कोविड-19 लॉकडाउन और चीन से बढ़ते आयात के कारण बेरोजगारी ने निश्चित रूप से भयावह रूप धारण कर लिया है। भारत की बेरोज़गारी दर आज 45 वर्षों में सबसे अधिक है, स्नातक युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 42 प्रतिशत है।
रमेश ने कहा कि इसे साबित करने के लिए डेटा भरे पड़े हैं। रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करने में विफलता दिख रही है। हर साल लगभग 70-80 लाख युवा श्रम बल में शामिल होते हैं, लेकिन 2012 और 2019 के बीच, रोज़गार में वृद्धि लगभग न के बराबर हुई, यह केवल 0.01 प्रतिशत है।
उनके अनुसार, एक रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि 2022 में शहरी युवाओं (17.2 प्रतिशत) के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं (10.6 प्रतिशत) के बीच भी बेरोजगारी दर बहुत अधिक थी। शहरी क्षेत्रों में महिला बेरोज़गारी दर 21.6 प्रतिशत के साथ काफी ज़्यादा थी। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि सिटी ग्रुप की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि भारत को अपने युवाओं को रोज़गार देने के लिए अगले 10 वर्षों तक हर साल 1.2 करोड़ नौकरियों के अवसर पैदा करने होंगे।
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अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार बढ़ा : उन्होंने दावा किया कि नियमित वेतन वाली औपचारिक नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है। रमेश ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि मोदी सरकार ने कम वेतन वाले अनौपचारिक क्षेत्र के रोज़गार का प्रतिशत बढ़ा दिया है, जिनमें किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा नहीं होती है। 2019-22 तक औपचारिक रोज़गार 10.5 प्रतिशत से घटकर 9.7 प्रतिशत हो गया।
रमेश ने आरोप लगाया कि कई दशकों में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुप्रबंधन के कारण कृषि में श्रमिकों की वास्तविक संख्या बढ़ रही है। कांग्रेस नेता ने दावा किया कि श्रमिक कारखानों से वापस खेतों की ओर जाने को मजबूर हैं। कुल रोजगार में कृषि की हिस्सेदारी 2019-22 से 42 प्रतिशत से बढ़कर 45.4 प्रतिशत हो गई है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि भारत का दुर्भाग्य यह है कि नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और उनकी सरकार इस वास्तविकता को स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं। स्वघोषित परमात्मा के अवतार ने दावा किया है कि अर्थव्यवस्था ने 8 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं। लेकिन, इस बात के पर्याप्त सबूत सामने आए हैं कि उन्होंने जिस डेटा का उल्लेख किया वह बेरोज़गारी का सही आकलन करने के लिए ठीक नहीं है।
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उनके अनुसार, प्रधानमंत्री की ओर से 'रोजगार वृद्धि' का जो दावा किया गया है उसमें एक बड़ा हिस्सा महिलाओं द्वारा किए जाने वाले अवैतनिक घरेलू काम को 'रोजगार' के रूप में दर्ज़ कर दिया गया है। रमेश ने कहा कि जब हम बिना रोजगार के विकास (जॉबलेस ग्रोथ) का मुद्दा उठाते हैं तब नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और उनके लिए ढोल पीटने वाले अर्थशास्त्री इस पर हमला बोलने लगते हैं। लेकिन 2014 के बाद से जो हो रहा है उसकी वास्तविकता शायद और भी अधिक गंभीर है, रोज़गार को ख़त्म करने वाला विकास (जॉबलॉस ग्रोथ) हुआ है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala