संसद से पारित हुए थे कानून
राजद्रोह की जगह देशद्रोह
IPC अब भारतीय न्याय संहिता
New Criminal Laws : देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए अधिसूचित किए गए 3 नए कानून - भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - 1 जुलाई से लागू होंगे। हालांकि हिंट एंड रन से जुड़े मामलों से संबंधित प्रावधान तत्काल प्रभावी नहीं होंगे। इनमें देशद्रोह, मॉब लिंचिंग और नाबालिग से जुड़े दुष्कर्म वाले कानूनों पर सख्त सजा के प्रावधान हैं। भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं, 20 नए अपराध परिभाषित हैं।
21 दिसंबर को संसद से मिली थी मंजूरी : तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद की मंजूरी मिल गई और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन कानून को अपनी सहमति दे दी। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी 3 अधिसूचनाओं के अनुसार, नए कानूनों के प्रावधान 1 जुलाई से लागू होंगे।
लेंगे भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह : ये कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों को परिभाषित करके उनके लिए सजा तय करके देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है।
हिट एंड रन का हुआ था विरोध : सरकार ने वाहन चालक द्वारा हिट एंड रन के मामलों से संबंधित प्रावधान को लागू नहीं करने का निर्णय लिया है, जैसा कि ट्रक चालकों से वादा किया गया था। ट्रक चालकों ने इन प्रावधानों का विरोध किया था।
क्या कहा गया अधिसूचना में : एक अधिसूचना में कहा गया कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 1 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार एक जुलाई, 2024 को उस तारीख के रूप में निर्दिष्ट करती है, जिस दिन धारा 106 की उपधारा (2) के प्रावधान को छोड़कर उपरोक्त संहिता के प्रावधान लागू होंगे।
सजा और कैद का था प्रावधान : कानून के प्रावधान सामने आने के बाद ट्रक चालकों ने धारा 106 (2) के प्रावधान का विरोध किया था। इसमें उन लोगों को 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जो तेज गति और लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनते हैं और घटना के बारे में पुलिस को सूचना दिए बिना भाग जाते हैं।
आतंकवाद पर नकेल : नए कानून में आतंकवादी कृत्य, जो पहले गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे खास कानूनों का हिस्सा थे, इसे अब भारतीय न्याय संहिता में शामिल किया गया है।
राजद्रोह की जगह देशद्रोह : सरकार ने नए कानून में राजद्रोह की धारा, 124 (क) को पूरी तरह से समाप्त कर इसको देशद्रोह में बदलने का काम किया है। इसमें राज्य के खिलाफ अपराध करने की एक नई धारा का शामिल किया गया है। इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधि, संप्रभुता या एकता का खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गतिविध जैसे अपराधों को शामिल किया गया है।
आजीवन कारावास : इस नए कानून के तहत अगर कोई मौखिक तौर पर या लिखित या सांकेतिक रूप से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या फिर प्रयास भी करता है, एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त उस पर जुर्माने का प्रावधान भी नए कानून में सम्मिलित किया गया है।
मॉब लिंचिंग आजीवन कारावास : नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी मॉब लिंचिंग को एक घृणित अपराध बताया था और इस अपराध के लिए नए कानूनों में फांसी की सजा का प्रावधान की बात संसद में कही थी। नए कानूनों में नाबालिग से दुष्कर्म करने के दोषियों को अब फांसी की सजा दी जा सकेगी। इनपुट एजेंसियां एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma