हार्ट अटैक नहीं आता तो कई मरीजों को दे जाती जिंदगी, फिर भी आंखें देकर उजाला कर गई हादसे का शिकार माला
ब्रेन डेथ मां के गर्भ में पल रहे 8 माह के मासूम को ऐसे बचाया डॉक्टरों ने
ये जिंदगी मौत और मौत से जूझने का एक खेल है। इस खेल में कुछ लोग अपनी जिंदगी देकर दूसरों की जिंदगी में जान फूंक जाते हैं। हादसे का शिकार हुई 19 साल की गर्भवती माला अस्पताल में अपनी जिंदगी से तो हार गई, लेकिन जाते-जाते वो किसी और की आंखों की रोशनी बन गई। जिंदगी का यह खेल इतना अदभुत है कि माला के गर्भ में पल रहे मासूम बच्चे को डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बचा लिया। कुल मिलाकर अंगदान में इंदौर ने एक और मिसाल कायम की है।
... और हार्ट अटैक से हो गई मौत
इंदौर में अंगदान कर के कई बार देशभर में मिसाल पेश की है। अंगदान की एक और भावुक कर देने वाली कहानी सामने आई है। जिसमें एक गर्भवती महिला के ब्रेन डेथ होने के बाद परिवार उसके अंगों को डोनेट करने के लिए तैयार हो गया। सबकुछ ठीक था, अंगदान की सारी तैयारी हो चुकी थी, लेकिन ऐन मौके पर ब्रेन डेथ अवस्था में आई महिला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। जिसके बाद अंगदान नहीं हो सका। हालांकि मौत के बाद भी महिला की आंखें किसी दूसरे की जिंदगी में रोशनी कर गई।
दरअसल, हाल ही में गर्भवती महिला माला और उनके पति खुशाल को एक वाहन ने टक्कर मार दी थी, जिसके बाद 19 साल की माला गंभीर रूप से घायल हो गई। जबकि पति खुशाल भी इस हादसे में बुरी तरह घायल हो गया था। घटना के बाद दोनों को इंदौर के एमवॉय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था।
डॉक्टरों ने ऐसे बचाया मासूम को
अंगदान के लिए काम करने वाली संस्था मुस्कान ग्रुप परमार्थिक ट्रस्ट इंदौर के संदीपन आर्य ने वेबदुनिया को बताया कि इस हादसे का सबसे दुखद पहलू ये था कि बुरी तरह घायल हुई माला के गर्भ में 8 महीने का बच्चा भी था। डॉक्टरों के लिए के लिए दोनों की जान बचाना बहुत बड़ी चुनौती थी। लेकिन डॉक्टरों की कोशिश की वजह से गर्भ में पल रहे बच्चे की जान को बचा लिया गया। इसके लिए माला का ऑपरेशन किया गया था। हालांकि इलाज के दौरान बच्चे की मां माला को ब्रेन डेथ घोषित कर दिया गया। दरअसल, माला को सिर में गहरी चोट आई थी, जिसकी वजह से डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेथ घोषित कर दिया था।
इस बीच मुस्कान ग्रुप परमार्थिक ट्रस्ट और डॉक्टरों ने माला के पति खुशाल को और उनके परिजनों को माला के अंगदान की सलाह दी। बेहद दुखद और मार्मिक पलों के बीच माला के पति खुशाल और अन्य परिजन अंगदान के लिए तैयार हो गए।
परिवार अंगदान के लिए तैयार लेकिन...
संदीपन आर्य ने बताया कि एमवाई हॉस्पिटल की सजग टीम की सूचना के बाद मुस्कान ग्रुप के सेवादार जीतू बगानी और लकी खत्री ने संभावित ब्रेन स्टेम डेथ की स्थिति के बारे में परिवार को अवगत कराकर अंगदान के महत्व को बताया और परिवार को अंगदान के लिए प्रेरित किया। दुखद क्षणों में परिवार अंगदान के लिए तैयार हो गया। लेकिन शायद ईश्वर को कुछ ओर ही मंजूर था। बेन डेथ की स्थिति में माला की हार्ट अटैक से मौत हो गई। अपने घायल पति और दो दिन पहले इस दुनिया में आए अपने बच्चे को अकेला छोड़कर माला चली गई। दो दिन का बच्चा फिलहाल एमटीएच हॉस्पिटल में मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ पीएस ठाकुर की विशेष निगरानी में स्वास्थ्य लाभ ले रहा है।
जाते जाते दे गईं रोशनी
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ सुमित शुक्ला ने अंगदान के लिए एपनीया टेस्ट एवं रिट्रायवल की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन ठीक इसी दौरान माला की हार्टअटैक से मौत हो जाने की वजह से अंगदान नहीं हो सके, हालांकि माला के नेत्रदान किए गए। माला जाते जाते अपनी आंखों की रोशनी से किसी ओर की जिंदगी में उजाला कर गई। दिवंगत के नेत्र दान नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ भाईसारे के मार्गदर्शन में एमवाई आई बैंक में किए गए।
अंगदान के इस पूरे घटनाक्रम में सांसद शंकर लालवानी, कमिशनर डॉ पवन कुमार शर्मा, इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के सेक्रेटरी और डीन डॉ संजय दीक्षित समेत डॉ श्वेता वालिया और टीम एमवाय हॉस्पिटल का विशेष सहयोग और योगदान रहा।