जानिए कैसे टूटते हैं ग्लेशियर और क्या होते हैं कारण
भूवैज्ञानिक ध्रुवसेन सिंह से वेबदुनिया की खास बातचीत
लखनऊ। उत्तराखंड के चमोली जिले में तिब्बत से लगे क्षेत्र में ग्लेशियर यानी हिमनद के बड़े हिस्से के टूटने की वजह से राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। दरअसल, ग्लेशियर का टूटना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। इससे तबाही तब होती है जब ग्लेशियर का बड़ा हिस्सा टूटता है और टूटने वाले ग्लेशियर का हिस्सा जितना बड़ा होगा उसका असर भी उतना ही व्यापक होता है।
सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी, लखनऊ विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक डॉ. ध्रुवसेन सिंह ने वेबदुनिया से खास बातचीत में कहा कि ग्लेशियर के टूटने के दो कारण होते हैं। पहला यह कि यह सामान्य तरीके से पिघलता है। जैसा कि हम जानते हैं कि पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है, तो उसकी वजह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं।
दूसरा बड़ा कारण हिमालय में बहुत अधिक संख्या में भ्रंश (फॉल्ट) हैं, जिसके कारण ग्लेशियर में दरारें पड़ने लगती हैं। पिघलते-पिघलते जब वो दरार के पास आ जाता है, तब ग्लेशियर टूट जाता है। डॉ. सिंह ने बताया कि हिमालय के नीचे दो टेक्टोनिक प्लेट मिलती हैं।
पहली यूरेशियन प्लेट और दूसरी हिमालयन प्लेट। इनके बीच टकराव की वजह से पैदा होने वाली ऊर्जा का प्रभाव ही चोटियों पर स्थित ग्लेशियर में भ्रंश के रूप में दिखता है। जब ये दरारें बड़ी हो जाती हैं, तब वहीं से ग्लेशियर टूट जाता है। उन्होंने कहा कि जब ये ग्लेशियर टूटते हैं, तब नदी का बहाव कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जिसकी वजह से जब भारी ऊर्जा के साथ पानी नीचे आता है, तब अपने सामने आने वाली चीजों को क्षतिग्रस्त करता जाता है।
हिमालय अभी भी विवर्तनीकि रूप से सक्रिय है, जिसके कारण भूकंप भी आते हैं। हिमनद के ऊपर बहुत सी जगह भ्रंश भी बन जाते हैं। हिमनद के ऊपर प्राकृतिक रूप से दरारें भी पाई जाती हैं। जलवायु परिवर्तन के संक्रमण काल में यह दरारें और बड़ी होती जाती हैं और कुछ समय के बाद टूट जाती हैं, जो नदी के बहाव को कई गुना बढ़ा देती हैं और अपने रास्ते में आने वाले अवरोधों को क्षतिग्रस्त करते हुए नीचे के इलाकों में तबाही का कारण बन जाती हैं।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के चमोली जिले में तिब्बत से लगे क्षेत्र में ग्लेशियर यानी हिमनद के बड़े हिस्से के टूटने की वजह से राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ की स्थिति बन गई है। इसके चलते देहरादून, पौड़ी और टिहरी जिला प्रशासन ने ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला से बैराज तक गंगा किनारे के दोनों छोर के घाटों को खाली करा लिया है। करीब 150 लोगों के बह जाने की आशंका व्यक्त की गई है।