एक तरफा सरकार के पक्ष में खबरें चलाने के भीषण दौर में आवाज उठाने वाली और सवाल पूछने वाली पत्रकारिता करने के लिए जाने जाने वाले रवीश कुमार ने एनडीटीवी (NDTV) से इस्तीफा दे दिया है। वे इस चैनल का चेहरा थे। बिहार के एक छोटे से जिले मोतीहारी के जितवारपूर गांव से लेकर अपनी तरह की पत्रकारिता और मैग्सेसे सम्मान तक रवीश कुमार का एक बेहद चर्चित सफर रहा है। देश में बदलते राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य के बीच होने वाली बहसों में रवीश कुमार अक्सर चर्चा में रहे। कभी तारीफ में रहे तो कभी विरोध और विवाद में। अडाणी ग्रूप एनडीटीवी खरीद लिया है। इसके तुरंत बाद रवीश ने इस्तीफा दे दिया है।
इसके बाद एनडीटीवी (
NDTV) के चर्चित पत्रकार रवीश कुमार (Ravish Kumar) ट्रेंडिंग में हैं। फेसबुक, ट्विटर से लेकर लिंक्डइन तक में रवीश के इस्तीफे की चर्चा है। उनके समर्थक उन्हें पीएम मोदी से सवाल पूछने वाले हीरो बता रहे हैं, तो वहीं उनके खिलाफ वाले उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि अब रवीश कुमार क्या करेंगे।
मीडिया की इस सबसे बड़ी खबर के बीच इस बात से सोशल मीडिया ओवरफ्लो है कि रवीश कुमार को खरीदने के लिए अडानी ने एनडीटीवी खरीद लिया, लेकिन रवीश कुमार बिकाऊ नहीं है। उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।
बहरहाल, इसी बीच रवीश के साथ ही उनका एक कोटेशन भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जो कभी उन्होंने लिखा था।
हर जंग जीत के लिए नहीं लड़ी जाती, कुछ दुनिया को यह बताने के लिए लड़ी जाती है कि कोई था रणभूमि में जो लड़ रहा था- रवीश कुमार
NDTV का चेहरा रवीश कुमार
रवीश कुमार एक तरह से एनडीटीवी का चेहरा थे। जहां दूसरे न्यूज चैनलों पर सरकार के पक्ष में खबरें चलाने के आरोप लगते रहे, वहीं रवीश के बारे में कहा जाता है कि वे लगातार सरकार से सवाल पूछते रहे। यहां तक कि इस बात की भी चर्चा होती रही है कि पीएम मोदी रवीश कुमार को इंटरव्यू क्यों नहीं देते। आम लोगों ने बेसब्री से मोदी और रवीश के इंटरव्यू का इंतजार किया।
एनडीटीवी में सबसे पहले रवीश यहां आने वाली चिट्टियों को छांटा करते थे, उसके बाद वे अनुवादक बने और धीरे- धीरे इस चैनल के चेहरा बन गए। रवीश चैनल के प्रमुख कार्यक्रमों जैसे 'हम लोग' और 'रवीश की रिपोर्ट' के होस्ट रहे। ये दोनों कार्यक्रम लोकप्रिय रहे हैं। रवीश कुमार का प्राइम टाइम शो 'देस की बात' भी काफी लोकप्रिय कार्यक्रम था।
एनडीटीवी में रवीश अक्सर अपने सत्ता विरोधी स्टैंड के लिए चर्चा में रहते थे। अपनी रिपोर्टों में वह देश में बेरोजगारी, शिक्षा और सांप्रदायिकता के सवाल उठाते रहे। वहीं दूसरी तरफ अन्य एंकरों पर सरकार का पक्ष लेने और उनके पक्ष में खबरें दिखाने के आरोप लगते रहे।
1988 में शुरू हुआ था NDTV
1988 में प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने एनडीटीवी की नींव रखी थी। शुरुआत में प्रणव रॉय दूरदर्शन पर द वर्ल्ड दिस वीक (The World This Week) नाम का कार्यक्रम लेकर आते थे, जिसने उन दिनों काफी लोकप्रियता हासिल की थी। करीब 11 साल बाद 1998 में उन्होंने स्टार न्यूज के साथ मिलकर देश के पहले 24 घंटे के न्यूज चैनल की शुरुआत की। उन दिनों NDTV, स्टार न्यूज के लिए प्रोडक्शन का काम करता था। समय बदलने के साथ रवीश कुमार NDTV का चर्चित चेहरा बन गए।
रवीश कुमार के बारे में
द इंडियन एक्सप्रेस ने 2016 में रवीश को अपनी 100 सबसे प्रभावशाली भारतीयों की सूची में शामिल किया था।
रवीश कुमार को साल 2019 में प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे सम्मान दिया गया था। यह सम्मान एशिया में साहसिक और परिवर्तनकारी नेतृत्व के लिए दिया जाता है। अवॉर्ड देने वाले संस्थान ने कहा था, 'रवीश कुमार अपनी पत्रकारिता के जरिए उनकी आवाज़ को मुख्यधारा में ले आए, जिनकी हमेशा उपेक्षा की जाती है'। रेमन मैग्सेसे संस्थान की ओर से कहा गया था कि 'अगर आप लोगों की आवाज़ बनते हैं तो आप पत्रकार हैं'
रवीश कुमार के बारे में
NDTV के पत्रकार रवीश कुमार का जन्म 05 दिसम्बर 1974 को बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी के एक छोटे से गांव जितवारपूर में हुआ था। रवीश कुमार ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते है, इनका पूरा नाम रवीश कुमार पाण्डेय है। रवीश ने अपनी पढ़ाई लोयोला हाई स्कूल, पटना से की। इसके बाद हायर एजुकेशन के लिए वे दिल्ली गए। इसके बाद रवीश ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने आईएमसी (भारतीय जन संचार संस्थान) से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया। पढाई के दौरान रवीश कुमार की मुलाकात नैना दास गुप्ता से हुई। दोनों ने एक एक दूसरे को 7 साल तक डेट किया और फिर शादी कर ली। दोनों की दो बेटियां हैं। उनकी पत्नी नैना दास गुप्ता दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में इतिहास की अध्यापिका हैं।
Edited By Navin Rangiyal