क्यों अबकी बार आसान नहीं है गुजरात में भाजपा की राह, जानिए क्या हैं बड़ी चुनौतियां?
गांधीनगर। चुनाव आयोग द्वारा गुजरात चुनाव के लिए तारीखों के ऐलान के साथ ही पीएम मोदी के गृह राज्य में चुनावी रण छिड़ गया है। भाजपा राज्य में पिछले 27 सालों से सत्ता में काबिज है। चुनावों से ठीक पहले मोरबी ब्रिज हादसे से लोग सत्तारुढ़ पार्टी से खफा है। हालांकि इस बार भाजपा की राह आसान नहीं नजर आ रही है। एंटी-इनकमबेंसी फैक्टर से भाजपा के दिग्गज भी वाकिफ है और इससे निपटने के लिए ही पार्टी ने पिछले साल मुख्यमंत्री बदलने के साथ ही कई बड़े कदम उठाए हैं।
27 साल से भाजपा भारी : 1995 का बाद से राज्य की जनता ने हर बार विधानसभा चुनावों में भाजपा पर ही भरोसा जताया है। 2012 तक तो पार्टी हर चुनाव में 100 से ज्यादा सीटे जीतीं। 2002 के चुनावों में पार्टी 182 में से 127 सीटें जीतने में सफल रही। 2007 के चुनाव में भाजपा ने 117 और 2012 के चुनाव में 115 सीटें जीती थीं। हालांकि 2017 के चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन कुछ फीका रहा और पार्टी भले ही सरकार बनाने में सफल रही लेकिन उसकी सीटों की संख्या घटकर 99 ही रह गई।
कैसे चुनौती दे रही है कांग्रेस : 2012 तक गुजरात में नैपथ्य में दिखाई दे रही कांग्रेस ने 2017 के चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। टीम मोदी की मेहनत से पार्टी भले सत्ता में आ गई लेकिन भाजपाई दिग्गजों हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी जैसे युवा नेताओं ने जोर करवा दिया। इस बार चुनाव से पहले ही हार्दिक को भाजपा में शामिल कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। इस वजह से कांग्रेस का प्रचार भी कुछ फीका दिखाई दे रहा है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच गुजरात में कांग्रेस शांतिपूर्ण ढंग से प्रचार कर रही है। हालांकि कांग्रेस का शोर शराबे से दूर रहकर चुनाव प्रचार करना भी भाजपा की चिंता बढ़ा रहा है। खुद पीएम मोदी ने भी हाल में एक सभा में भाजपा कार्यकर्ताओं से चेतावनी देते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सावधान रहने को कहा था।
केजरीवाल की चुनौती : इधर केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी राज्य में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनती दिखाई दे रही है। मुफ्त बिजली, बेहतर शिक्षा और मूलभूत सुविधाएं देने के वादे से आप पार्टी दिल्ली और पंजाब की तरह ही गुजरात में भी जोरदार ढंग से दस्तक दे रही है। स्वयं केजरीवाल कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं।
केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने गुजरात में मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। पार्टी न सिर्फ आक्रामक ढंग से प्रचार कर रही है बल्कि उसने टिकट वितरण में भी बाजी मार ली है। दिल्ली और पंजाब की तरह ही गुजरात के लिए भी पार्टी ने प्लान तैयार किया है और उस पर अमल भी किया जा रहा है। जल्द ही पार्टी राज्य में सीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान भी करने जा रही है।
क्या है भाजपा की चिंता : 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 99 सीट जीती थीं, जबकि कांग्रेस को 77 सीट मिली थीं। पिछले चुनाव में 35 सीटों पर हार-जीत का फैसला 5000 से कम वोटों से हुआ था। ऐसे में आम आदमी पार्टी जिस भी पार्टी के वोटों में सेंध लगाएगी, उसका इन सीटों पर हारना लगभग तय है।
एंटी-इनकमबैंसी फैक्टर : चुनाव से पहले ही भाजपा ने एंटी इनकमबैंसी फैक्टर को दूर करने का भरपूर प्रयास किया है। अगर एंटीइनकमबैंसी फैक्टर का भाजपा पर थोड़ा भी असर पड़ता है और पार्टी को पिछली बार की अपेक्षा कुछ सीटों पर भी नुकसान होता है तो उसकी मुश्किलें बढ़ जाएगी। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि आप की उपस्थिति से कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगेगी और भाजपा को फायदा होगा।
अब यह देखना दिलचस्प है कि मोदी का मैजिक और अमित शाह का मेनेजमैंट भाजपा के गढ़ को बचा पाता है या नहीं।