शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Ground report: Kuno National Sanctuary ready to welcome cheetahs
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 12 सितम्बर 2022 (14:33 IST)

70 साल बाद देश में चीतों की वापसी की उल्टी गिनती शुरू, इतिहास रचने को तैयार श्योपुर का कूनो पालपुर अभयारण्य!

70 साल बाद देश में चीतों की वापसी की उल्टी गिनती शुरू, इतिहास रचने को तैयार श्योपुर का कूनो पालपुर अभयारण्य! - Ground report: Kuno National Sanctuary ready to welcome cheetahs
भारत में 70 साल बाद चीतों की वापस की उल्टी गिनती शुरु हो गई है। इस सप्ताह के आखिरी दिन शनिवार को श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य में अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते पहुंच रहे है। भारत में चीतों की वापसी अपने आप में कितना खास है इसको इस बात से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी अपने जन्मदिन (17 सितंबर) पर स्वयं चीतों को छोड़ने के लिए श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क आ रहे है। कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीकन देश नामीबिया से चीतों को लाकर बसाया जा रहा है। प्रधानमंत्री अपने जन्मदिवस पर कूनो पालपुर के विशेष बाड़े में चीतों को छोड़ेंगे।

चीतों के आने के बाद कूनो नेशनल पार्क की देश ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक पहचान होगी। दुनिया में अपने आप में पहले प्रोजेक्ट के तहत चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप पर चीतों की शिफ्टिंग करने के कार्य को लेकर श्योपुर में इन दिनों युद्धस्तर पर कार्य किए जा रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन और चीतों को शिफ्ट करने को लेकर कूनो नेशनल अभ्यारण्य में तैयारियां अब अंतिम चरणों में है।  

चीतों के लिए तैयार दो विशेष बाड़ा-नामीबिया से लाए जा रहे चीतों को हेलीकॉप्टर के लिए कूनो नेशनल अभ्यारण्य में लाया जाएगा। इसके लिए नेशनल पार्क के अंदर चीतों को लाने के लिए दो विशेष हैलिपेड बनाए गए है। हैलिपेड बनाने का काम पीडब्लूडी विभाग कर रहा है। कूनो अभ्यारण्य में बनाए गए विशेष हैलिपेड पर उतरने के बाद चीतों को विशेष प्रकार के पिंजरे में शिप्ट किया जाएगा। 17 सितंबर को दोपहर लगभग 12 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन पिंजरो से चीतों को नेशनल पार्क में बनाए गए चीतों के दो विशेष बाड़ों में छोड़ेंगे। चीतों को रिलीज करने के लिए कूनो नेशनल पार्क में दो विशेष बाड़े बनाए गए है।


पांच किलोमीटर दायरे में बने इन बाड़ों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ जगह वॉच टॉवर बनाए गए है जिससे चीतों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकें। नमीबिया से लाने के बाद सबसे पहले चीतों को दो से तीन हफ्ते तक छोटे छोटे अलग बाड़ों में रखा जाएगा, इसके बाद इनकी बड़े बाड़ों में शिफिटंग की जाएगी। इसके बाद चीतों को करीब दो महीनों के बाद खुले जंगल में छोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा चीतों स्वास्थ्य परीक्षण के लिए विशेष अस्पताल का निर्माण किया गया है।

चीतों की सुरक्षा के लिए बनाए गए चीता मित्र-अफ्रीकी चीतों को कूनो अभयारण्य में लाने से पहले अभयारण्य से लगे हुए गांव में विशेष प्रकार के चीता मित्र तैयार किए गए है। श्योपुर कूनो वन मंडल के डीएफओ पीके वर्मा के मुताबिक अभयारण्य से सटे बेस गांवों में अब तक 450 से अधिक चीता मित्रा तैयार किए जा चुके है, इन चीता मित्रों को वन विभाग की तरफ से विशेष ट्रेनिंग दी गई है। चीता मित्र चीतों की सुरक्षा का काम करेंगे। चीता मित्रों को चीतों के व्यवहार के बारे में बताने के साथ स्थानीय लोगों को चीतों के विषय मे जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विशेष तौर पर अगर चीता गांव के पास पहुंच जाए तो उसपर किसी भी प्रकार का आक्रमण नहीं करे और न ही इसको लेकर डर का माहौल बनाए।


चीता मित्र स्थानीय लोगों को इस बात को लेकर जागरूक करेंगे कि ऐसी परिस्थितियों में चीता पर हमला नहीं कर उसके चुपचाप निकलने की जगह प्रदान करे। चीता मित्रों के प्रतिनिधि के तौर पर चीता मित्र नवाब सिंह गुर्जर कहते हैं कि चीतों के अभयारण्य में आने से हमारे सपने आज पूरे हो रहे हैं। चीतों का संरक्षण करना हम सभी की जिम्मेदारी है। चीता मित्र स्थानीय लोगों को चीतों और तेंदुएं में अंतर बताने के लिए विशेष रूप से तैयार पोस्टर के जरिए भी जागरूकता संदेश देने का काम करेंगे।   

इसके साथ अफ्रीकी चीतों को संक्रमण से बचाने के लिए कूनो अभयारण्य के साथ आसपास के गांवों में मौजूद जानवरों का टीकाकरण किया जा चुका है। इसके साथ आसपास के सभी गांवों में विशेष शिविर लगाए गए हैं साथ ही चीतों के रहने के हिसाब से माहौल तैयार किया गया है। 

श्योपुर के प्रभारी मंत्री भारत सिंह कुशवाह कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जन्मदिन (17 सितंबर) को चीतों की सौगात देने श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क आ रहे है, जो पूरे मध्यप्र देश के साथ-साथ पूरे चंबल अंचल के लिए गौरव की बात है। अफ्रीका से श्योपुर के कूनो अभयारण्य में चीतों का आना एक ऐतिहासिक अवसर है। कूनो नेशनल पार्क में चीतों के आने से पूरे देश में इसकी अलग पहचान होगी और क्षेत्र के विकास के साथ पर्यटन बढ़ने से स्थानीयों लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। 


चीतों के लिए कूनो का चयन ही क्यों?–श्योपुर को कूनो नेशल पार्क में चीतों को लाने के साथ ही भारत में 70 साल बाद चीतों की वापसी होने जा रही है। मध्यप्रदेश के कूनो अभयारण्य में नमीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों का लाया जा रहा है। पहले चरण में 17 सितंबर को नमीबिया से 8 चीते नेशनल पार्क में लाए जा रहे है। 
 
चंबल संभाग में आने वाला श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय अभयारण्य के 750 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र करीब दो दर्जन चीतों के रहने के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसके साथ ही श्योपुर और शिवपुरी जिले का करीब 3 हज़ार किलोमीटर एरिया चीतों के रहने के लिए उपयुक्त है। श्योपुर राष्ट्रीय अभयारणय चीते को फिर से बसाने के लिए देश के सबसे बेहतर पर्यावास में से यह एक है। राष्ट्रीय अभयारणय में चीतों के लिए अच्छा शिकार भी मौजूद है, क्योंकि यहां पर चौसिंगा हिरण, चिंकारा, नीलगाय, सांभर एवं चीतल बड़ी तादाद में पाए जाते हैं।

दरअसल भारत में 1952 में चीता विलुप्त वन्य जीव घोषित कर दिया गया था। वहीं साल 2009 में चीता पुनर्स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने पहल शुरु की। साल 2010 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने भारत में चीता पुनर्स्थापना के लिए सर्वेक्षण का काम शुरू किया। सर्वेक्षण के लिए देश में जिन 10 स्थानों का अध्ययन किया गया उसमें मध्य प्रदेश के कूनो को सबसे उपयुक्त पाया गया। 

बदल जाएगी स्थानीय लोगों की किस्मत!-कूनो नेशनल पार्क में अप्रीकी चीतों के आने से स्थानीय लोगों को अपने दिन बदलने की आस लग गई है। प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में शामिल श्योपुर एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। ऐसे में कूनो नेशनल पार्क में चीतों के आने से श्योपुर जिला देश में पर्यटन के मानचित्र पर प्रमुखता से आ गया है। श्योपुर के कूनो अभयारण्य से लगे टिकटोली गांव में रहने वाले ग्रामीण चीतों के आने से बेहद खुश है और उनको अब क्षेत्र के विकास के साथ रोजगार के नए अवसर मिलने की भी उम्मीद है। 
 
रविवार को कूनो पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि कूनो नेशनल पार्क से विस्थापित हुए ऐसे ग्राम जो अभी भी मजरे टोले है, उन्हें पूर्ण राजस्व ग्राम का दर्जा दिया जायेगा। इसके साथ ही क्षेत्र में 5 स्किल डेवलपमेंट केन्द्र बनाये जायेंगे। इनमें क्षेत्रीय युवाओं को प्रशिक्षण दिला कर रोजगार उपलब्ध कराया जायेगा।