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Last Modified: शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021 (22:22 IST)

भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम समझौते का विशेषज्ञों ने किया स्वागत

भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम समझौते का विशेषज्ञों ने किया स्वागत - Experts welcomed India-Pakistan ceasefire agreement
नई दिल्ली। विशेषज्ञों ने शुक्रवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते की घोषणा स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि ऐेसे किसी भी उपाय को अवसर दिया जाना चाहिए, जो सीमा पर लोगों का जीवन बचा सके और हिंसा में कमी ला सके। इसके साथ ही उन्होंने आगाह किया कि सीमा पार से आतंकवाद पर कड़ी नजर रखे जाने की आवश्यकता है।

समझौते के बारे में नई दिल्ली और इस्लामाबाद में जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देशों के सैन्य अभियान महानिदेशकों ने स्थापित हॉटलाइन संपर्क तंत्र के माध्यम से चर्चा की और मुक्त, खुले तथा सौहार्दपूर्ण माहौल में नियंत्रण रेखा एवं अन्य सभी सेक्टरों में स्थिति की समीक्षा की। समझौता 24/25 फरवरी की मध्य रात्रि से प्रभाव में आ गया।
 
वर्ष 2016 में उरी हमले के बाद किए गए सर्जिकल स्ट्राइक के समय श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) सतीश दुआ ने कहा कि संघर्ष विराम एक स्वागत योग्य कदम है तथा इस बारे में और भी महत्वपूर्ण यह है कि इस पर संयुक्त बयान दुर्लभ है।

उन्होंने कहा कि समझौता गर्मियों की शुरुआत के समय हुआ है जब घुसपैठ के प्रयासों में अधिकता आती है। दुआ ने कहा, हर साल गर्मियों की शुरुआत में घुसपैठ और गोलीबारी की घटनाएं जोर पकड़ती हैं। अब जब हम गर्मी की तरफ बढ़ रहे हैं तो यह एक अच्छी चीज भी है, हो सकता है कि इस पर इस तरह रोक लगाई जा सकती है। यह एक अच्छी चीज होगी।

उन्होंने कहा कि नवीनतम संघर्ष विराम समझौते को तीन पहलुओं के संदर्भ में देखना होगा। पहला अगस्त 2019 के बाद की स्थिति है जब अनुच्छेद 370 के तहत प्रदत्त जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया तो घुसपैठ और गोलीबारी की घटनाओं में वृद्धि देखने को मिली।

दूसरा, दोनों देशों के उच्चायुक्तों को वापस बुलाने के बाद कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ा। तीसरा, भारत का यह रुख कि पाकिस्तान के आतंकवाद का समर्थन बंद करने तक कोई वार्ता नहीं होगी। दुआ ने कहा, महत्वपूर्ण ढंग से संपर्क लगभग टूट चुका था।

उस संबंध में सैन्य अभियान महानिदेशक स्तर की बातचीत नियंत्रण रेखा के प्रबंधन के लिए है जिससे कि हम वहां चीजों को खराब न होने दें जहां उन्हें हल किया जा सकता है या कई बार नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले असैन्य नागरिकों से जुड़े मुद्दे होते हैं जिससे कि उन्हें नुकसान न उठाना पड़े।

लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) डीएस हुड्डा ने कहा कि किसी को भी इंतजार करना चाहिए और चीजों को देखना चाहिए कि ये क्या मोड़ लेती हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के समय हुड्डा सेना की उत्तरी कमान के कमांडर थे।


हुड्डा ने कहा, काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि वे (पाकिस्तान) सीमा पर क्या करते हैं। यदि वे आतंकवादियों की घुसपैठ कराना जारी रखते हैं तो स्पष्ट है कि संघर्ष विराम समझौता नहीं टिक पाएगा। उन्होंने हालांकि कहा कि समझौता ऐसी चीज है जिसे दोनों पक्षों की ओर से उच्चतम स्तर से मंजूरी मिलनी चाहिए थी।

हुड्डा ने कहा कि समझौते को क्षेत्रीय एवं वैश्विक कारकों के नजरिए से भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाने के पाकिस्तान के प्रयासों को वैश्विक स्तर पर समर्थन नहीं मिला है और पाकिस्तान की चाहत के अनुरूप इसके परिणाम नहीं निकले हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ भी पाकिस्तान के संबंध खराब हो गए हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी ठीक नहीं है।

हुड्डा ने कहा, इन सभी पहलुओं ने भूमिका निभाई। अमेरिका ने भी समझौते का स्वागत किया है और कहा है कि यह दक्षिण एशिया में व्यापक शांति एवं स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने कहा कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय दबाव से राहत पाने और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को पुन: सुधारने के लिए भारत के साथ बेहतर संबंधों की आवश्यकता महसूस हुई।(भाषा)
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