दम तोड़ती कांग्रेस में जान फूंकने में भारत जोड़ो से ज्यादा असरदार रहा अध्यक्ष पद का ड्रामा
कई दिनों से न्यूज स्क्रीन से गायब कांग्रेस पिछले एक हफ्ते से तकरीबन हर चैनल में नजर आ रही है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी से लेकर अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और सचिन पायलट तक सारे नेता लगातार खबरों में हैं। भारत जोड़ो यात्रा से शुरू हुईं ये सुर्खियां राजस्थान के पॉलिटिकल ड्रामा तक आईं और इसके बाद यह दृश्य कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस तक पहुंच गए।
कांग्रेस में लगातार घट रहे इन दृश्यों को अगर गौर से देखा जाए तो यह एक स्क्रिप्ट की तरह नजर आते हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ यात्रा की शुरूआत होती है, इसी दौरान कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए कवायद शुरू होती है। ठीक इसी दौरान राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच उठापटक होती है।
स्थिति यहां तक पहुंचती है कि अशोक गहलोत के 90 विधायक कांग्रेस आलाकमान को तकरीबन बागी तेवर दिखाते हुए इस्तीफा दे देते हैं। वहीं, अशोक गहलोत अपनी तीन शर्तों के साथ दिल्ली पहुंच जाते हैं। सोनिया और राहुल को मैसेज यह देते हैं कि वे कांग्रेस अध्यक्ष भी बनना चाहते हैं और राजस्थान का सीएम पद भी नहीं छोड़ेगे। एक बार फिर से उनके सुर सचिन पायलट के खिलाफ नजर आते हैं। सचिन पायलट वेट एंड वॉच की पोजिशन में होते हैं।
इसी बीच कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए मध्यप्रदेश की राजनीति के दिग्गज दिग्विजय सिंह और अंग्रेजीदां शशि थरूर का नाम सामने आता है। वहीं, मल्लिकार्जुन खड़गे तीसरे दावेदार के रूप में सुर्खियों में आते हैं। गहलोत का नाम पहले से इस पद के लिए चल ही रहा था, लेकिन उनके बगावती सुरों के खिलाफ कांग्रेस आलाकमान सख्त हो जाता है और गहलोत बैकफूट पर आकर सोनिया गांधी से अपने सारे किए धरे के लिए माफी मांगते हैं। अब उनका नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से गायब हो जाता है।
फिर शुक्रवार को खबर आती है कि दिग्विजय सिंह भी अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेगे। उनका बयान आता है कि वे मल्लिकार्जुन के प्रस्तावक बनेंगे। अब अध्यक्ष की दौड़ में सिर्फ दो ही नाम बचते हैं, एक मल्लिकार्जुन खड़गे और दूसरा नाम शशि थरूर।
कांग्रेस के इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंचते हैं, वहां सूरत में कुछ योजनाओं की घोषणा करते हैं। गांधी नगर से मुंबई तक चलने वाली रेल सेवा वंदे भारत का शुभारंभ करते हैं। लेकिन मीडिया में इसे ज्यादा तव्वजों नहीं मिली। ठीक इसी तरह अमित शाह भी गुजरात दौरे पर निकले, लेकिन उनकी तस्वीरें भी मीडिया में धुंधली नजर आई।
कुल मिलाकर पिछले कई दिनों से सुप्त पड़ी कांग्रेस अचानक सुर्खियों में आ जाती है। हालांकि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव इतना बड़ा इवेंट नहीं था, जितना कांग्रेस ने इसे दिखा दिया। यह पार्टी के भीतर की एक प्रक्रिया है, लेकिन कांग्रेस की इस उठापटक से न सिर्फ पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव एक बड़ा घटनाक्रम हो गया, बल्कि कांग्रेस में एक राजनीतिक सक्रियता भी नजर आ रही है। टीवी न्यूज चैनल से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह कांग्रेस का यह पॉलिटिकल ड्रामा तैर रहा है। अगर यह कांग्रेस की स्क्रिप्ट भी है तो कांग्रेस को जिंदा करने की यह कहानी अच्छी है। कम से कम भारत जोड़ो यात्रा और अध्यक्ष पद के इस ड्रामा से दम तोड़ती कांग्रेस में जान तो आई ही है।