नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने 2002 के गुजरात दंगा मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (SIT) द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली जकिया जाफरी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। जकिया गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता अहसान जाफरी की पत्नी हैं। इस पूरे मामले से जुड़ा घटनाक्रम इस प्रकार है :
27 फरवरी 2002 : अयोध्या से लौट रही साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में यात्रा कर रहे 59 कार सेवकों पर कथित तौर पर हमला किया गया और गोधरा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के डिब्बों में आग लगा दी गई।
28 फरवरी 2002 : भीड़ ने मेघानीनगर में गुलबर्ग सोसाइटी में रह रहे लोगों पर हमला किया, जिसमें अपीलकर्ता जकिया के पति अहसान जाफरी सहित 69 लोगों की मौत हो गई। अहसान जाफरी ने भीड़ को रोकने का असफल प्रयास किया था।
6 मार्च 2002 : गुजरात सरकार ने गोधरा कांड और उसके बाद हुए दंगों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया।
9 अक्टूबर 2003 : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक रिट याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त किया।
8 जून 2006 : जकिया जाफरी ने 2002 के दंगों के पीछे बड़ी साजिश होने का आरोप लगाते हुए मोदी और अन्य के खिलाफ शिकायत दाखिल की।
26 मार्च 2008 : उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के पूर्व निदेशक आरके राघवन के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया।
1 मई 2009 : शीर्ष अदालत ने सुनवाई पर से रोक हटाई और विशेष अदालतों में मामलों के अभियोजन तथा एसआईटी को मामले पर हुई कार्रवाई के संबंध में एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
6 मई 2010 : शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि निचली अदालत अगले आदेश तक अंतिम फैसला न सुनाए। मामले के विशेष लोक अभियोजक के इस्तीफे के बाद गुलबर्ग सोसायटी मामले पर सुनवाई रुक सी गई।
11 सितंबर 2011 : उच्चतम न्यायालय ने एसआईटी के प्रमुख को निर्देश दिया कि वह मामले में एकत्रित की गई पूरी सामग्री के साथ एक अंतिम रिपोर्ट अदालत को भेजे।
8 फरवरी 2012 : एसआईटी ने मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि उनके खिलाफ कोई मुकदमा चलाने योग्य सबूत नहीं मिले हैं।
15 अप्रैल 2013 : जकिया जाफरी ने गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में मोदी और अन्य को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट को खारिज करने की मांग करते हुए एक स्थानीय अदालत में याचिका दायर की।
26 दिसंबर 2013 : मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने जकिया की याचिका खारिज करते हुए एसआईटी की अंतिम रिपोर्ट स्वीकार की।
5 अक्टूबर 2017 : इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय ने भी जकिया की याचिका को खारिज कर दिया।
12 सितंबर 2018 : जकिया ने एसआईटी के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
26 अक्टूबर 2021 : उच्चतम न्यायालय ने नियमित आधार पर जकिया की याचिका पर सुनवाई शुरू की।
9 दिसंबर 2021 : जकिया की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा।
24 जून 2022 : उच्चतम न्यायालय ने जकिया की याचिका खारिज की और मोदी तथा अन्य को एसआईटी द्वारा क्लीन चिट देने के फैसले को बरकरार रखा।
(भाषा)