जम्मू। जम्मू के सुंजवां आर्मी कैंप में घुसे आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन अब भी जारी है। अब तक सुरक्षा बलों ने चार आतंकियों को मार गिराया है, जबकि पांच शहीद हो गए हैं, वहीं एक आम नागरिक को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है।
आतंकियों को मार गिराने के लिए शनिवार सुबह सेना का ऑपरेशन शुरू हुआ था। फिलहाल सुंजवां आर्मी कैंप में एक से दो और आतंकियों के छिपे होने की आशंका जताई जा रही है। इस बीच आर्मी चीफ बिपिन रावत भी जम्मू-कश्मीर पहुंच गए हैं और उनकी अगुवाई में सुरक्षा बल आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देने में जुटे हुए हैं।
सेना की टाइगर डिवीजन के अधीन आने वाली सुंजवां ब्रिगेड में हुए फिदायीन हमले में शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या पांच हो गई है, वहीं एक नागरिक की भी मौत भी हो गई। सेना की जवाबी कार्रवाई में अब तक चार आतंकी ढेर हो चुके हैं। मुठभेड़ अभी भी जारी है, वहीं सेना प्रमुख बिपिन रावत ने भी हेलीकॉप्टर से स्थिति का जायजा लिया।
जानकारी के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद की अफजल गुरु ब्रिगेड ने शनिवार तड़के साढ़े चार बजे सुंजवां ब्रिगेड पर हमला कर दिया था। मुठभेड़ पिछले 40 घंटों से जारी है। शनिवार को इसमें दो जवान शहीद हुए थे और तीन आतंकी ढेर हुए थे, जबकि रविवार को तीन और जवान और एक जवान के पिता की भी मौत हो गई।
शहीदों की पहचान सूबेदार मदनलाल चौधरी, सूबेदार मोहम्मद अशरफ मीर, हवलदार हबीबउल्ला कुरैशी, नायक मंजूर अहमद, लांस नायक मोहम्मद इकबाल शामिल हैं। नागरिकों में शहीद हुए लांस नायक मोहम्मद इकबाल के पिता भी शामिल हैं।
लगातार दूसरे दिन भी आर्मी चीफ की निगरानी में सेना का ऑपरेशन जारी है। साल 2016 में उड़ी आतंकी हमले के बाद यह दूसरा बड़ा हमला है। अब तक जैश के चार आतंकियों को मार गिराया गया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि अब भी एक या दो आतंकी शिविर के अंदर मौजूद हैं।
इस बीच गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि है कि ऑपरेशन अब भी जारी है। मुझे लगता है कि इस पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है, जबकि ऑपरेशन चल रहा है। हमे यकीन है हमारे जवान सफलतापूर्वक इस ऑपरेशन को अंजाम देंगे। जानकारी के मुताबिक आतंकियों के पास एके-56 राइफल और भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए गए हैं। आतंकियों के कब्जे में कोई बंधक नहीं है। कुल 26 में से 19 फ्लैट खाली करा लिए गए हैं। सेना कैंप के अंदर मौजूद आतंकियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन तेज हो गया है।
क्यूआरटी की चार टीमों को आर्मी कैंप के अंदर भेजा गया है। ऑपरेशन के लिए पैरा कमांडो को भी तैनात कर दिया गया है। आईएएफ के पैरा कमांडो को उधमपुर और सरसावा से जम्मू बुलाया गया था। गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय पूरी घटना पर नजर बनाए हुए है।
इस बीच आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली है। डिफेंस पीआरओ ने बताया कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है। यह ऑपरेशन तब तक जारी रहेगा, जब तक सभी आतंकी मारे या पकड़े नहीं जाते। उन्होंने बताया कि अब तक 4 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं।
इनके पास से एके-56 राइफल और भारी मात्रा में अन्य हथियार बरामद हुए हैं। इससे लगता है कि आतंकी किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के लिए आए थे। शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि सेना के तीन और जवान शहीद हो गए तथा एक सैन्यकर्मी के पिता की मौत हो गई। इसके साथ ही मृतकों की संख्या छ: हो गई है। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि अभियान जारी है। जम्मू में सेना के जनसंपर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने कहा कि अभियान चल रहा है और क्वार्टरों से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कई परिवार अब भी वहां हैं और सेना का मकसद उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जम्मू क्षेत्र में करीब 15 महीने पहले ऐसा ही हमला हुआ था। 29 नवंबर 2016 को आतंकवादी जम्मू शहर में नगरोटा सैन्य शिविर में घुसे थे जिसमें दो अधिकारी समेत सात सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।
इसमें तीन आतंकवादी भी मारे गए थे। आतंकवादी कल भोर होने से पहले संतरी से संक्षिप्त मुठभेड़ के बाद पीछे की ओर से शिविर के भीतर घुसे थे। अधिकारी ने कहा कि आतंकवादी आवासीय परिसर में घुसे जिसके बाद त्वरित कार्रवाई दलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी और शिविर के भीतर कुछ घरों में छिपे आतंकवादियों को घेर लिया, वहीं मुठभेड़ में अभी तक 11 लोग घायल हुए हैं।
इनकी पहचान ले. कर्नल रोहित सोलंकी, मेजर अभिजीतसिंह, लांस नायक बहादुरसिंह, हवलदार अब्दुल हमीद रशीद, परमजीत कौर, नेहा, सोमती जेना, सुबेदार राजेद्रसिंह शामिल हैं। घायलों का उपचार सेना के सतवारी स्थित मिलिट्री अस्पताल में हो रहा है, वहीं, सेना की जवाबी कार्रवाई में चार आतंकवादी अभी तक ढेर हो चुके हैं। मुठभेड़ अभी भी जारी है। बीच-बीच में गोलियां चलने की आवाज आ रही है।
हालांकि यह भी आशंका जताई जा रही है कि आतंकियों ने जवानों के कुछ परिजनों को बंदी बनाकर रखा हुआ है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। सेना ने पूरे क्षेत्र को घेरे में लिया हुआ है। सूत्र दावा करते हैं कि आतंकियों का निशाना क्वार्टरों में रहने वाले सैनिकों के परिवार व आयुध भंडार था।
वर्ष 2003 में भी आतंकियों ने यहां हमला किया था। इस बीच, आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के अफजल गुरु ब्रिगेड ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इस हमले को संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु व अलगाववादी संगठन जेकेएलएफ के सह-संस्थापक मकबूल बट की फांसी की बरसी से जोड़कर देखा जा रहा है। 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु और 11 फरवरी, 1984 को मकबूल बट को फांसी हुई थी।
हमले के तार रोहिंग्याओं के साथ भी जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि सुंजवां स्थित ब्रिगेड मुख्यालय के आसपास काफी संख्या में बांग्लादेशी रोहिंग्या बसे हुए हैं। शिविर के सामने जम्मू-लखनपुर बाइपास पर वाहनों की आवाजाही जारी है जबकि बुलेट प्रूफ वाहनों में सवार सैन्य कर्मी शिविर के पीछे की ओर आवासीय परिसर से लोगों को निकालने के अभियान में जुटे हैं।
सीआरपीएफ और पुलिस के दल शिविर की दीवार के बाहर तैनात हैं और नागरिकों को हताहत होने से बचाने के लिए आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखे हुए हैं। जम्मू में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है और शहर में तथा आसपास के इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
खुफिया एजेंसियों ने अफजल गुरु की बरसी के मद्देनजर जैश-ए-मोहम्मद द्वारा सेना या सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले की चेतावनी दी थी। अफजल गुरु को वर्ष 2001 में संसद भवन पर हमले के दोष में 9 फरवरी 2013 को फांसी दी गई थी। अब अधिकारी दावा करते हैं कि सुंजवां आतंकी हमले का मास्टरमाइंड रउफ असगर है। रउफ मौलाना जैश-ए-मोहम्मद का चीफ आतंकी मसूद अजहर का भाई है। फरवरी के पहले हफ्ते में रउफ ने भाई मौलाना मसूद अजहर के साथ हिजबुल के चीफ सैयद सलाउद्दीन से मिला था और 9 फरवरी को आतंकी अफजल गुरु की बरसी के दिन दोनों ने हमले को अंजाम देने के लिए मदद मांगी थी।