Manish Sisodia की मुश्किलें बढ़ीं, ED ने दर्ज किया Money Laundering के तहत मामला
नई दिल्ली। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने (Delhi Excise Policy 2021-22 case) में मामला दर्ज कर लिया है। कुछ दिनों पहले सीबीआई मनीष सिसोदिया के घर पर छापा मारा था। नई शराब नीति में गड़बड़ी को लेकर सिसोदिया पर मामला दर्ज किया गया है। खबरों के मुताबिक सीबीआई ने ईडी को दस्तावेज सौंपे हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली की आबकारी नीति में कथित अनियमितता की जांच करने के लिए धनशोधन का मामला दर्ज किया है। इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया एवं अन्य कथित रूप से शामिल हैं।
संघीय एजेंसी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं में अपना मामला दर्ज किया है। सीबीआई की प्राथमिकी में सिसोदिया और 14 अन्य नामज़द हैं।
सीबीआई ने 19 अगस्त को 7 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 19 स्थानों पर छापेमारी की थी जिसमें सिसोदिया और आईएएस अधिकारी एवं दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण का घर भी शामिल था।
ईडी इस बात की जांच करेगा कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को बनाने और क्रियान्वयन में अनियमितताएं तो नहीं की गईं। यह नीति पिछले साल नवंबर में अमल में लाई गई थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने नीति में कथित अनिमियतताओं की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी जिसके बाद सरकार ने जुलाई में इस नीति को वापस ले लिया।
उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को भी निलंबित किया है। सिसोदिया ने भी नीति में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की मांग की है।
अधिकारियों ने कहा कि जुलाई में दी गई दिल्ली के मुख्य सचिव की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि नीति में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कामकाज के नियम 1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाया गया है।
सूत्रों ने बताया कि जांच के दौरान ईडी विश्लेषण करेगा कि क्या नीति-निर्माण में व्यक्ति और कंपनियां शामिल थीं और क्या संबंधित कंपनियों ने पीएमएलए की परिभाषा के तहत अपराध से संपत्ति हासिल की या नहीं और क्या अवैध या बेनामी संपत्ति बनाए जाने की कोई संभावना है।
सूत्रों ने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 के बहाने से लाइसेंसधारियों को निविदा लाइसेंस शुल्क पर 144.36 करोड़ रुपये की माफी दी है।
उन्होंने कहा कि विभाग ने हवाईअड्डा क्षेत्र के लाइसेंस के लिए सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि वापस कर दी, क्योंकि वह हवाईअड्डा अधिकारियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने में नाकाम रहा।
सूत्रों ने कहा कि यह दिल्ली आबकारी नियम 2010 के नियम 48(11)(बी) का घोर उल्लंघन था, जो स्पष्ट रूप से यह शर्त लगाता है कि सफल बोलीदाता को लाइसेंस प्रदान करने के लिए सभी औपचारिकताओं को पूरा करना होगा, ऐसा न करने पर उसके द्वारा सभी जमा कराई गई राशि सरकार जब्त कर लेगी।