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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 9 मई 2024 (19:19 IST)

लगातार तीसरे साल घरेलू बचत में आई गिरावट, जानिए क्‍या हैं कारण...

लगातार तीसरे साल घरेलू बचत में आई गिरावट, जानिए क्‍या हैं कारण... - Domestic savings declined for the third consecutive year
Domestic savings declined for the third consecutive year : घरेलू बचत में वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार तीसरे साल गिरावट आने का अनुमान है, क्योंकि आवास और वाहन ऋण पर बढ़ते ब्याज के कारण देनदारियों में वृद्धि जारी है। हालांकि व्यक्तिगत ऋण पर भारतीय रिजर्व बैंक के अंकुश से 2024-25 में यह प्रवृत्ति उलट सकती है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी ताजा राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी-2024 के अनुसार, शुद्ध घरेलू बचत तीन वर्षों में 2022-23 तक नौ लाख करोड़ रुपए की गिरावट के साथ 14.16 लाख करोड़ रुपए रह गई। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने आंकड़ों पर बात करते हुए कहा कि 2022-23 में घरेलू बचत में गिरावट की मुख्य वजह देनदारियों में सालाना आधार पर 73 प्रतिशत की वृद्धि रही।
 
उन्होंने कहा कि आंकड़ों पर गौर करें तो बीते वित्त वर्ष 2023-24 में भी घरेलू बचत में गिरावट की प्रवृत्ति जारी रहने का अनुमान है। घरेलू बचत से जुड़े आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं। नायर ने कहा कि हालांकि 2024-25 में यह प्रवृत्ति उलट सकती है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने बिना गारंटी वाले व्यक्तिगत कर्ज पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए हैं।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने इस गिरावट की वजह खंड में बदलाव को बताया, जहां बचत को वास्तविक परिसंपत्तियों में लगाया जा रहा है। उन्होंने यहां एनसीएईआर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू शुद्ध वित्तीय बचत कम रही और इसे लेकर कुछ चिंताएं थीं। इससे पता चला कि घरेलू बचत कम हो रही है, लेकिन वास्तव में यह एक खंड बदलाव था जहां बचत वास्तविक परिसंपत्तियों में जा रही थी।
 
वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू बचत 23.29 लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। उस वर्ष कोविड-19 की दूसरी लहर आई थी। हालांकि उसके बाद से इसमें गिरावट जारी है। इसके बाद यह 2021-22 में यह 17.12 लाख करोड़ रुपए और 2022-23 में 14.16 लाख करोड़ रुपए पर आ गई। वित्तीय निकायों और एनबीएफसी द्वारा परिवारों को दिए गया ऋण 2022-23 में चार गुना होकर 3.33 लाख करोड़ रुपए हो गया।
यह 2020-21 में 93,723 करोड़ रुपए था। वित्त वर्ष 2021-22 के 1.92 लाख करोड़ रुपए के ऋण की तुलना में 2022-23 में यह 73 प्रतिशत बढ़ा। आरबीआई ने व्यक्तिगत ऋणों में वृद्धि को देखते हुए पिछले साल नवंबर में व्यक्तिगत ऋणों सहित बिना गारंटी वाले ऋणों के लिए प्रावधानों में बदलाव किया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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