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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 14 जनवरी 2020 (19:17 IST)

दिल्ली चुनाव में CM चेहरे और मोदी मैजिक के कन्फ्यूजन में फंसी भाजपा ?

दिल्ली चुनाव में CM चेहरे और मोदी मैजिक के कन्फ्यूजन में फंसी भाजपा ? - Delhi Vidhansabha Election 2020  will be  Modi Magic vs Kejriwals governance
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद अब सियासी दल अपने चुनावी व्यूह रचना बनाने में जुट गए है। सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी एक बार फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर चुनावी मैदान में पूरी ताकत से है तो दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस तारीखों के एलान के बाद भी नहीं तय नहीं कर सकी है कि उसका मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा।  
 
भाजपा जिसने 2013 और 2015 का चुनाव मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ लड़ा था उसका पिछला अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा। 2015 में भाजपा ने अन्ना आंदोलन के जरिए सियासत में एंट्री करने केजरीवाल की पूर्व साथी किरण बेदी को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन वह मात्र 3 सीटों पर सिमट गई थी।  
 
केंद्र में एक बार मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा इस बार दिल्ली के किले को फतह करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी चुनावी कमान अपने हाथ में ले रखी। चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर को दिल्ली का प्रभारी बनाने वाले पार्टी अब तक ये नहीं तय कर पाई है कि वह दिल्ली में इस बार अपना मुख्यमंत्री का चेहरा किसे बनाएगी। 
अगर दिल्ली में भाजपा में मुख्यमंत्री के चेहरों की दावेदारों की बात करें तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, पार्टी सांसद प्रवेश वर्मा और केंद्रीय मंत्री हरीदीप पुरी के नाम सबसे आगे है। पिछले दिनों जब पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को प्रवेश वर्मा से बहस की चुनौती दी तो वह दावेदारों में सबसे आगे दिखाई देने लगे है। अब जब चुनाव में एक महीने से भी कम का वक्त बचा हुआ है तब भी इस कन्फ्यूजन में दिखाई दे रही है कि वह केजरीवाल के सामने मुख्यमंत्री चेहरे को उतारे या फिर मोदी मैजिक के भरोसे ही आगे बढे। 
 
दिल्ली में भाजपा में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर हो रहे कन्फ्यूजन पर वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर कहते हैं एक बात भाजपा को यह समझना चाहिए कि लोकसभा चुनाव में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ना और उसके काम को सामने रखना तो पार्टी के लिए फायदेमंद रहता है लेकिन जब उसी मोदी चेहरे के सहारे पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ती है तो उसको कोई फायदा नहीं मिलता उल्टा वह सवालों के घेरे में आ जाती है।

जैसे दिल्ली में मोदी के चेहरे को आगे रखकर लड़कर लडने वाली भाजपा की मुख्य विरोधी अरविंद केजरीवाल और आप लोगों को यह कह रह है कि आप को सीएम सीएम चुनना है न कि पीएम। विधानसभा चुनाव में विपक्ष का यह कहना हैं कि मोदी पीएम पद छोड़ मुख्यमंत्री तो नहीं बनेंगे बहुत हद तक लोगों को कन्वेंश करता है और इसको पिछले कई चुनावों में साफ महसूस भी किया गया।
 
राज्यों में मोदी मैजिक क्यों नहीं ?- वेबदुनिया से बातचीत में चुनावी विश्लेषक गिरिजाशंकर कहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पूरी तरह अलग अलग किस्म के होते है इसलिए भाजपा को लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति अलग-अलग रखनी होगी। भाजपा को लोकसभा चुनाव में मोदी के चेहरे का खूब उपयोग करना चाहिए क्यों वहां पर उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है और उनका चुनौती देने वाला कोई नहीं है, जबकि राज्यों में पार्टी को मोदी मैजिक नहीं बल्कि राज्य के नेताओं पर भरोसा करना होगा। आज राज्यों में कद्दावर नेता तैयार करना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती और जरुरत बना गया है। वह कहते हैं कि भाजपा का राज्यों की लीडरशिप को मजबूती नहीं देना और राज्यों में प्रभावशाली नेताओं का उपयोग चुनाव में नहीं करने पर पार्टी को जरुर मंथन करना होगा।