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Last Updated : शुक्रवार, 13 नवंबर 2020 (22:47 IST)

अयोध्या में दिव्य दीपोत्सव के मौके पर रोशनी से जगमगाएंगे घाट...

अयोध्या में दिव्य दीपोत्सव के मौके पर रोशनी से जगमगाएंगे घाट... - Deep festival in Ayodhya, Uttar Pradesh
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में दीपोत्सव के मौके पर भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में 24 घाटों पर 5 लाख 51 हजार से ज्यादा दीप जलाए जाने की तैयारी है।योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा इस बार भी भव्य दीपोत्सव मनाया जा रहा है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि परिसर में श्रीरामलला विराजमान के समक्ष पहला दीया जलाकर दीपोत्सव का शुभारंभ किया।

2017 में शुरू हुआ यह दीपोत्सव इस बार नया रिकॉर्ड बनाएगा।अयोध्या में इस आयोजन को सफल बनाने के लिए भव्य तैयारी की गई है।अयोध्या की ऐतिहासिक धरती को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सरकार ये सभी इंतजाम करती है।दीपोत्सव-2020 के पर्व पर सरयू नदी की भव्य एवं दिव्य आरती की व्यवस्था की गई है।

श्रीराम जन्मभूमि कनक भवन, राम की पैड़ी, हनुमानगढ़ी सहित सभी मंदिरों में बिजली की सजावट की गई है।इसी प्रकार पुलों, विद्युत पोल आदि पर बिजली की झालर लगाई गई हैं।दीपोत्सव पर अयोध्या के सभी मठ, मंदिरों एवं घरों में दीप प्रज्वलन की ऐसी व्यवस्था की जाएगी।

इस दौरान भगवान श्रीराम की नगरी दीपों के प्रकाश से पूरी तरह आलोकित हो जाएगी।खासतौर से राम की पौड़ी को लाखों दीयों से जगमगाया जाएगा।साथ ही मठ-मंदिरों में भजन तथा रामायण पाठ का आयोजन किया जाएगा।

वर्चुअल दीपोत्सव की भी सुविधा : यहां दीपोत्सव के विहंगम दृश्य वर्चुअल तरीके से देखने की सुविधा की गई है। इस खास मौके पर भगवान राम के मंदिर में दीपदान की विशेष व्यवस्था की गई है। लोग वर्चुअल तरीके से भगवान राम के लिए दीपदान कर पाएंगे।सिर्फ इतना ही नहीं इस बार इस आयोजन में दिव्यांग व आठ हजार के करीब वॉलंटियर्स ने भाग लिया हैं।

कोरोना संक्रमण काल से निकलकर एक बार फिर अयोध्या धार्मिक आस्था में डुबकी लगाने के लिए तैयार है। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम के आयोजन के सभी इंतजाम किए गए हैं। किसी प्रकार से आम जनता के जुटने के लिए दीपोत्सव कार्यक्रम नहीं होगा।
यह केवल विशिष्टजनों, जिनकी संख्या करीब एक हजार है, केवल उनके लिए ही होगा। विशिष्टजनों में वहां के साधु-संत, महात्मा या जनप्रतिनिधि ही हिस्सा ले सकेंगे। रामकथा पार्क और सरयू नदी के आसपास किनारे के क्षेत्रों में यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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