विधानसभा चुनाव के टिकट बंटते ही महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस में बड़ी बगावत
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार और राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी कांग्रेस गुटबाजी के अपने पुराने रोग से छुटकारा नहीं पा पाई है। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद पार्टी को पटरी पर लाने में जुटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए नाक का सवाल बने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी के टिकट बंटवारे से नाराज होकर दोनों ही राज्यों में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों ने बगावत का झंडा उठा लिया है।
हरियाणा में बगावत की राह पर पूर्व अध्यक्ष : पार्टी के टिकट बंटवारे से नाराज होकर हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में अशोक तंवर ने टिकट बंटवारे पर गहरी नाराजगी जताते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रदेश में टिकट बांटे गए हैं उससे लगता है कि कांग्रेस अब हुड्डा कांग्रेस में बदल गई है। अपना इस्तीफा देने से पहले तंवर ने अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के घर के बाहर धरना दिया था।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले पार्टी हाईकमान ने अशोक तंवर को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाते हुए कुमारी शैलजा को कमान सौंपी थी। इसके साथ ही चुनाव के समय पार्टी को बगावती तेवर दिखाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्ड़ा के सामने पार्टी ने सरेंडर करते हुए उनको पार्टी की चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी के इस निर्णय के बाद अशोक तंवर की नाराजगी की खबरें सामने आ रही थी।
संजय निरुपम भी बगावत की राह पर : महाराष्ट्र में भी टिकट बंटवारे के बाद मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम भी अब बगावत की राह पर आगे बढ़ गए हैं। टिकट बंटवारे के बाद संजय निरुपम ने कहा कि उन्होंने अपनी लोकसभा सीट से विधानसभा का एक टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने वह भी नहीं दिया तो अब पार्टी में रहने का क्या फायदा, ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी अब मेरी सेवाएं नहीं चाहती है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के बड़े चेहरे माने जाने वाले संजय निरुपम ने विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से भी इंकार कर दिया। ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र में संजय निरुपम पहले नेता हैं जो चुनावी सीजन में पार्टी से बगावत की राह पर हैं इसके पहले नारायण राणे और उनके बेटे नितेश राणे भी पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इसके साथ ही पार्टी के कई विधायक भी पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा और शिवसेना में शामिल हो चुके हैं।