चिदंबरम V/s अमित शाह, मैं समंदर हूं, आखिर लौटकर आ ही गया...
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृह एवं वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस भले ही केन्द्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगा रही हो, लेकिन यह मामला भाजपा-कांग्रेस का न होकर चिदंबरम बनाम अमित शाह का ज्यादा दिखाई दे रहा है।
दरअसल, राजनीतिक गलियारों से लेकर मीडिया तक का एक बड़ा वर्ग चिदंबरम की गिरफ्तारी को गुजरात में 10 साल पहले हुई वर्तमान केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की गिरफ्तारी से जोड़कर ज्यादा देख रहा है। जिस समय शाह को सोहाराबुद्दीन शेख एनकाउंटर में सीबीआई ने जेल में डाला था, उस समय केन्द्र में गृहमंत्री थे।
वर्तमान में संदर्भ में देखें तो खेल भी वही है, मोहरे भी वही हैं, बदला है तो सिर्फ खिलाड़ी। तब 'मोहरे' चिदंबरम के कब्जे में थे तो चाल भी वे ही चल रहे थे, लेकिन अब समय का चक्र बदला मोहरे अमित शाह की तरफ हैं और चाल भी उन्हीं की है। तब फर्जी एनकाउंटर का मामला था और अब भ्रष्टाचार का मामला। बदला है कि तो बस सीबीआई का 'आका'।
यह भी हम इसलिए कह रहे हैं कि दोनों ही पार्टियां अपने अनुकुल स्थितियां न होने की स्थिति में सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग और पूर्वाग्रह से प्रेरित होकर काम करने के आरोप लगाती रही हैं। अमित शाह फर्जी एनकाउंटर मामले से बरी होकर केन्द्र में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर पहुंच गए, वहीं चिदंबरम की स्थिति सबके सामने हैं।
बात जब अमित शाह की चल रही है तो एक बात और बता दें कि फर्जी एनकाउंटर मामले में गिरफ्तारी के बाद अमित शाह को गुजरात से बाहर भेज दिया गया था, लेकिन जब वापस गुजरात लौटे तो उन्होंने उस समय दो पंक्तियां कही थीं- 'मेरा उतरता पानी देखकर, किनारों पर घर मत बना लेना। मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा। ...और अमित शाह लौट आए हैं। अब वक्त ही बताएगा कि यह 'समंदर' कितने आशियानों अपने आगोश में समेटता है।