पूर्व ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर सेवामुक्त, केन्द्र सरकार का एक्शन
Central governments action on Pooja Khedkar : लंबे समय से विवादों में घिरी पूर्व ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर को केन्द्र सरकार ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से सेवामुक्त कर दिया है। सरकार ने संघ लोकसेवा आयोग (UPSC) परीक्षा में ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का दुरुपयोग करने के आरोप में पूजा के खिलाफ कार्रवाई की है। यूपीएससी ने 31 जुलाई को उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से भी वंचित कर दिया था।
पहचान में हेराफेरी : पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर अपनी पहचान में हेराफेरी की। हाल ही में पूजा ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अपनी चिकित्सा जांच कराने को तैयार हैं। अदालत आपराधिक मामले में खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार कर रही थी।
ALSO READ: पूजा खेडकर के पिता के खिलाफ FIR, सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप
खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि मैं (खेडकर) अपनी चिकित्सा जांच कराने को तैयार हूं। पहले उन्होंने कहा कि मैंने अपना नाम बदल लिया है। अब वे कह रहे हैं कि (मेरी) दिव्यांगता संदिग्ध है। मैं एम्स जाने को तैयार हूं। मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की है। उन्होंने इस बात को रिकॉर्ड में दर्ज किया कि पुलिस ने आगे की जांच के लिए 10 दिन और मांगे हैं। इस बीच, उच्च न्यायालय द्वारा खेडकर को गिरफ्तारी से दी गई अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी।
दिल्ली पुलिस के वकील की दलील : दिल्ली पुलिस के वकील ने दलील दी थी कि खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा देते समय तथ्यों को छुपाया अन्यथा वह परीक्षा देने की पात्र ही नहीं थीं। खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि पुलिस ने मामले में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए दबाव नहीं डाला है, और वैसे भी इसकी आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि अधिकारियों के पास सभी रिकॉर्ड उपलब्ध हैं।
ALSO READ: IAS का ओहदा गंवाने के बाद पूजा खेडकर को एक और झटका, कोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत की याचिका
जाली हो सकता है प्रमाण पत्र : स्थिति रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्यापन के बाद, जारीकर्ता चिकित्सा प्राधिकरण, अहमदनगर, महाराष्ट्र ने हालांकि दावा किया है कि लोकोमोटर दिव्यांगता, श्रवण दोष और आंखों से कम दिखने संबंधी प्रमाणपत्र सिविल सर्जन कार्यालय रिकॉर्ड के अनुसार जारी नहीं किया गया था और दिव्यांगता प्रमाणपत्र के जाली और मनगढ़ंत होने की अधिक आशंका है। लोकोमोटर डिसेबिलिटी या चलन-संबंधी दिव्यांगता उस दिव्यांगता को कहते हैं जिसमें व्यक्ति के पैर ठीक से काम नहीं करते। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala