TRP घोटाला! CBI ने अपने हाथों में ली जांच, दर्ज की पहली FIR
नई दिल्ली/ मुंबई। सीबीआई (CBI) ने उत्तरप्रदेश पुलिस (Uttar Pradesh Police) के अनुमोदन के आधार पर टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) में कथित तौर पर हेरफेर किए जाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की है। यह जानकारी मंगलवार को अधिकारियों ने दी।
उन्होंने कहा कि मामला पहले लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे उत्तरप्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि त्वरित कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोप धन लेकर टीआरपी रेटिंग में हेरफेर किए जाने का मामला है। सीबीआई अधिकारियों ने विस्तृत ब्योरा देने से इंकार कर दिया।
बार्क ने बंद की रेटिंग : किसी चैनल या कार्यक्रम की टीआरपी का इस्तेमाल विज्ञापन एजेंसियां उनकी लोकप्रियता मापने में करती हैं जिससे विज्ञापन की कीमत प्रभावित होती है।
भारत में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) 45 हजार से अधिक घरों में एक उपकरण लगाकर प्वाइंट की गिनती करता है। इस उपकरण को ‘बार ओ मीटर’ कहा जाता है। यह उपकरण इन घरों के सदस्यों द्वारा किसी कार्यक्रम या चैनल के देखे जाने का आंकड़ा एकत्रित करता है जिसके आधार पर बार्क साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है। मुंबई पुलिस ने हाल में टीआरपी में हेरफेर किए जाने का एक मामला दर्ज किया था जिसके बाद बार्क ने अस्थायी रूप से रेटिंग का काम स्थगित कर दिया है।
क्राइम ब्रांच ने 2 को किया गिरफ्तार : मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने फर्जी टेलीविन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) रैकेट के सिलसिले में मंगलवार को हंसा रिसर्च एजेंसी के दो पूर्व कर्मियों को गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। इस तरह इस मामले में अब तक 8 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
रामजी वर्मा (41) और दिनेश विश्वकर्मा (37) ने कुछ सालों के लिए हंसा एजेंसी में काम किया था। अधिकारी के अनुसार वर्मा को वर्ली से गिरफ्तार किया गया जबकि विश्वकर्मा को मुंबई हवाईअड्डे से शाम को गिरफ्त में लिया गया।
यह कथित फर्जी टीआरपी घोटाला तब सामने आया जब रेटिंग एजेंसी ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने हंसा रिसर्च ग्रुप के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई कि कुछ चैनल विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करने के लिए टीआरपी अंक के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। आरोप है कि दर्शक संबंधी आंकड़े के संग्रहण के लिए जिन परिवारों में मीटर लगाए गए थे और उनमें से कुछ को कुछ खास चैनल देखने के लिए रिश्वत दी जाती थी।