क्या जय फिलिस्तीन कहने पर जा सकती है ओवैसी की लोकसभा सदस्यता?
Asaduddin Owaisi News: हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा लोकसभा में शपथ के बाद 'जय फिलिस्तीन' का नारा लगाने के चलते उनकी सांसदी खतरे में पड़ सकती है। ओवैसी ने शपथ के बाद जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन का नारा लगाया था।
ALSO READ: मणिपुर को न्याय दिलाइए, Manipur हिंसा की लोकसभा में गूंज
जय फिलिस्तीन का नारा लगाने पर उनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा गया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरि शंकर जैन ने राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। उनके बेटे विष्णु शंकर जैन ने एक्स पर लिखा कि उनके पिता हरिशंकर ने असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ संविधान के
अनुच्छेद 102 और 103 के तहत राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दायर की है। साथ ही ओवैसी को संसद सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है।
ALSO READ: ओम बिरला दूसरी बार बने लोकसभा स्पीकर, पीएम मोदी ने दी बधाई
क्या है पूरा मामला : दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद एक युद्ध प्रभावित पश्चिम एशियाई क्षेत्र के पक्ष में नारे लगाए, जिसके बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया और सभापति ने इसे रिकॉर्ड से हटाने का निर्देश दिया। हैदराबाद से पांचवीं बार सदस्य निर्वाचित हुए ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली। शपथ लेने से पहले उन्होंने दुआ पढ़ी। साथ ही उन्होंने मुस्लिमों के लिए एआईएमआईएम का नारा बुलंद करने के अलावा अपने राज्य तेलंगाना, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के पक्ष में नारा लगाया।
सदस्यों ने जताई आपत्ति : उनकी शपथ के बाद सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिससे सदन में हंगामा शुरू हो गया। पीठ पर आसीन राधामोहन सिंह ने सदस्यों को आश्वासन दिया कि शपथ के अलावा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। कुछ मिनट तक हंगामा जारी रहा, जिसके बाद शपथ ग्रहण दोबारा शुरू हुआ। इसके बाद आसन पर लौटे प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने कहा कि केवल शपथ का मूल पाठ ही रिकॉर्ड में दर्ज किया जा रहा है। महताब ने कहा कि मैंने पहले भी कहा है कि कृपया शपथ के मूलपाठ के अलावा किसी और चीज का जिक्र करने से बचें। इसका पालन किया जाना चाहिए।
क्या कहता है अनुच्छेद 102 (घ) : यदि वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है, या किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुपालकता की स्वीकृति के अधीन है। वहीं, अनुच्छेद 103 में राष्ट्रपति को यह अधिकार दिया गया है कि अनुच्छेद 102 के तहत कोई शिकायत प्राप्त होने पर वह संबंधित सांसद की योग्यता पर फैसला लें। राष्ट्रपति को कोई भी फैसला लेने से पहले चुनाव आयोग से परामर्श करना जरूरी है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala