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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : मंगलवार, 21 सितम्बर 2021 (22:13 IST)

Jammu and Kashmir : उड़ी में घुसे आतंकियों से कितना बड़ा खतरा? पहली बार बंद किया गया इंटरनेट

Jammu and Kashmir : उड़ी में घुसे आतंकियों से कितना बड़ा खतरा? पहली बार बंद किया गया इंटरनेट - Biggest Infiltration Attempt In J&K In Recent Years, Army Operation On
जम्मू। जम्मू-कश्मीर में उस पार से की जाने घुसपैठ की कोशिशों के इतिहास में यह पहली बार है कि आतंकियों के जत्थे के एलओसी को पार कर इधर आ जाने के उपरांत किसी तहसील में इंटरनेट और फोन सेवाओं को ब्लॉक कर दिया गया हो। इससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि खतरा कितना बड़ा होगा।
 
एलओसी से साथ सटे उड़ी सेक्टर में तकरीबन 2 दर्जन आतंकियों ने दो दिन पहले घुसपैठ की है। हालांकि, सेना की ओर से आतंकियों की संख्या के बारे में कुछ नहीं बताया गया है, वहीं उड़ी सेक्टर में आज मंगलवार को भी मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं।
 
अलबत्ता, घुसपैठियों की तलाश में सैन्य अभियान आज लगातार तीसरे दिन भी जारी रहा। तलाशी अभियान में पैरा कमांडो का एक दस्ता भी शामिल है। प्रशासन ने एहतियात के तौर पर उड़ी और बारामुल्ला के विभिन्न हिस्सों में इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवा बंद कर दी है। यह कदम घुसपैठियों उनके स्थानीय संपर्कों, गाइडों और उन्हें छिपाने वालों के बीच किसी भी संपर्क को ठप करने व अफवाहों पर रोक के लिए उठाया गया है।
 
रविवार की तड़के उड़ी सेक्टर में अंगूरी पोस्ट के इलाके में स्वचालित हथियारों से लैस आतंकियों के एक दल ने घुसपैठ का प्रयास किया था। इसके बाद हुई मुठभेड़ में एक जवान जख्मी हो गया था। आतंकी जंगल और बारिश की आड़ में भाग निकले थे। सेना के अधिकारियों ने कहा कि उड़ी सेक्टर से कश्मीर के अंदरूनी इलाकों की तरफ आने वाले सभी प्रमुख रास्तों व नालों में भी विशेष नाके लगाए गए हैं। जहां घुसपैठ हुई है, उस पूरे इलाके में घेराबंदी है। सेना अपने खोजी कुत्तों की भी मदद ले रही है। उड़ी के अग्रिम इलाकों में स्थित बस्तियों में संदिग्ध तत्वों और आतंकियों के पुराने गाइडों की भी निगरानी की जा रही है।
 
हालांकि चिनार कोर अर्थात श्रीनगर स्थित 15वीं कोर के कोर कमांडर ले जनरज डीपी पांडे कहते थे कि घुसपैठ हुई है, गोलीबारी भी हुई है और उसके बाद आतंकियों का जत्था लापता हो गया है। इसमें कितने आतंकी थे, वे सूचना सांझा नहीं करते थे। बस इतना संकेत देते थे कि वे भारी हथियारों से लैस थे।
 
नजीता सामने है। दो रातों से उड़ी कस्बे के लोग सो नहीं पाए हैं। सैकड़ों सैनिक गांवों और जंगलों में इस जत्थे में शामिल आतंकियों की तलाश कर रहे हैं जिनकी संख्या 20 से 25 के बीच बताई जा रही है। इसे जरूर स्वीकार किया जा रहा था कि इस जत्थे को उड़ी में बैठे हुए उनके ओवर ग्राउंड वर्करों व गाइडों द्वारा गाइड किया जा रहा था जिस कारण फोन, मोबाइल और इंटरनेट सेवा पर रोक लगा देनी पड़ी है।

वैसे रक्षा प्रवक्ता कहते थे कि घुसपैठियों की संख्या 6 से 8 के बीच थी जिनमें से 5-6 वापस लौट गए और बाकी घुसने में कामयाब रहे हैं। पर सेना के इस दावे पर किसी को यकीन इसलिए नहीं हो रहा था क्योंकि मात्र 2-3 आतंकियों के लिए इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं रोक देना जायज नहीं लगा रहा था। खासकर उड़ी में जो पहली बार किया गया था।
 
उड़ी सेक्टर में घुसपैठ का यह कोई पहला मामला तो नहीं था पर अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के उपरांत यह सबसे बड़ा घुसपैठ का प्रयास था जिसके प्रति शक यह भी व्यक्त किया जा रहा है कि इस जत्थे में तालिबानी भी हो सकते हैं। यह बात अलग है कि सेनाधिकारी कहते थे कि भारतीय सेना के लिए, आतंकी आतंकी ही होता है चाहे वह पाकिस्तानी हो या फिर तालिबानी।
 
उड़ी में घुसपैठ की घटना के उपरांत 20 से 25 आतंकियों के गुम हो जाने की घटना के उपरांत सैंकड़ों जवानों को तलाशी अभियान में झोंका गया है। लड़ाकू हेलिकाप्टर भी घने जंगलों की थाह ले रहे हैं। परेशानी यह है कि उड़ी में एलओसी के कई इलाकों में बर्फबारी हमेशा तारबंदी को नेस्तनाबूद कर देती है और इसी का लाभ उठा आतंकी घुसे चले आते हैं।
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