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  4. Bar Council of India (BCI) passes a resolution opposing the grant of legal recognition to same sex marriages
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Last Modified: रविवार, 23 अप्रैल 2023 (22:43 IST)

समलैंगिक विवाह का बार काउंसिल ने किया विरोध, मीटिंग में पारित किया प्रस्ताव

Supreme court
  • फैसला भविष्य की पीढ़ियों के लिए हो सकता है नुकसानदेह
  • 99.9 प्रतिशत लोग खिलाफ  
  • विधायिका पर छोड़ें फैसला 
     
नई दिल्ली। बार काउन्सिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह मुद्दे की सुनवाई किए जाने पर रविवार को अपनी चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के संवेदनशील विषय पर शीर्ष न्यायालय का फैसला भविष्य की पीढ़ियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है और इसे विधायिका के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।
 
वकीलों के संगठन ने एक प्रस्ताव में कहा कि भारत विभिन्न मान्यताओं को संजो कर रखने वाले विश्व के सर्वाधिक सामाजिक-धार्मिक विविधता वाले देशों में से एक है। इसलिए, बैठक में आम सहमति से यह विचार प्रकट किया गया कि सामाजिक-धार्मिक और धार्मिक मान्यताओं पर दूरगामी प्रभाव डालने वाला कोई भी विषय सिर्फ विधायी प्रक्रिया से होकर आना चाहिए।
 
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस तरह के एक संवेदनशील विषय पर शीर्ष न्यायालय का कोई भी फैसला हमारे देश की भविष्य की पीढ़ी के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है।
 
सभी राज्य बार काउंसिल के प्रतिनिधियों की भागीदारी वाली संयुक्त बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया।
 
इसमें कहा गया है कि निश्चित तौर पर विधायिका द्वारा बनाए गए कानून सचमुच में लोकतांत्रिक हैं, क्योंकि वे विचार विमर्श की प्रक्रिया से होकर गुजरने के बाद बनाए जाते हैं और समाज के सभी वर्गों के विचारों को प्रदर्शित करते हैं। विधायिका लोगों के प्रति जवाबदेह है।
 
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस तरह, संयुक्त बैठक में आम सहमति से यह विचार प्रकट किया गया कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए और विविध सामाजिक-धार्मिक पृष्ठभूमि से हितधारकों के होने के मद्देनजर यह सलाह है कि विभिन्न सामाजिक, धार्मिक समूहों को शामिल कर परामर्शदात्री प्रक्रिया करने के बाद सक्षम विधायिका द्वारा इसका निपटारा किया जाए।
 
बीसीआई ने कहा कि इस विषय के सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के बारे में जान कर देश का प्रत्येक जिम्मेदार व्यक्ति अपनी संतान के भविष्य को लेकर चिंतित है।
 
वकीलों के संगठन ने कहा कि देश के 99.9 प्रतिशत लोग हमारे देश में समलैंगिक विवाह के विचार के खिलाफ हैं।
 
इसने कहा कि शीर्ष न्यायालय से अनुरोध किया जाता है और देश के लोगों के एक बहुत बड़े हिस्से की भावनाओं का सम्मान करने की उम्मीद की जाती है। एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma
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